नई दिल्ली। ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने भारत सरकार के खिलाफ मध्यस्थता अदालत में जीत हासिल की है, जिसमें उससे पूर्व प्रभाव से कर के रूप में 10,247 करोड़ रुपये मांगे गए थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सरकार के लिए पिछले तीन महीने में यह दूसरा झटका है। इससे पहले एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सितंबर में वोडाफोन समूह पर भारत द्वारा पूर्व प्रभाव से लगाए गए कर के खिलाफ फैसला सुनाया था।
सूत्रों ने बताया कि एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा कि 2006-07 में केयर्न द्वारा भारतीय व्यापार के आंतरिक पुनर्गठन पर भारत सरकार का 10,247 करोड़ रुपये का कर दावा वैध नहीं है। न्यायाधिकरण ने भारत सरकार से यह भी कहा कि वह केयर्न को लाभांश, कर वापसी पर रोक और बकाया वसूली के लिए शेयरों की आंशिक बिक्री से ली गई राशि ब्याज सहित लौटाए। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने आम सहमति से फैसला दिया कि भारत को 1.2 डॉलर और ब्याज लागत का भुगतान करना होगा।
इस फैसले की पुष्टि करते हुए केयर्न ने एक बयान में कहा कि न्यायाधिकरण ने भारत सरकार के खिलाफ उसके दावे के पक्ष में फैसला दिया है। भारत सरकार ने ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश समझौते का हवाला देते हुए 2012 के पूर्व प्रभाव वाले कर कानून के तहत केयर्न के भारतीय कारोबार के पुनर्गठन पर कर की मांग की थी, जिसे कंपनी ने चुनौती दी। केयर्न ने कहा कि न्यायाधिकरण ने आम सहमति से फैसला सुनाया कि भारत ने ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत केयर्न के प्रति अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है और उसे 1.2 अरब अमरीकी डॉलर का हर्जाना और ब्याज लागत चुकानी होगी।
इमामी के संयंत्रों को जीएमपी प्रमाणपत्र मिला
घरेलू एफएमसीजी कंपनी इमामी लिमिटेड के दो संयंत्रों को डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणपत्र मिला है। ये संयंत्र गुजरात के वापी और मसाट में स्थित हैं और यहां झंडू ब्रांड के तहत आयुर्वेदिक स्वास्थ्य उत्पाद बनाए जाते हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा कि दोनों इकाइयों ने दवा उत्पाद (सीओपीपी) का प्रमाणपत्र भी हासिल किया है।
कंपनी ने कहा कि इमामी के संयंत्रों को विश्व स्वास्थ्य संगठन - अच्छी विनिर्माण कार्यप्रणाली (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) का प्रमाणपत्र मिलने और हमारे 40 से अधिक उत्पादों को सीओपीपी मिलने से उसके उत्पादों की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलेगी।
अमेरिकी वित्तीय संस्था भारत में 5.4 करोड़ डॉलर निवेश करेगी
एक अमेरिकी वित्तीय संस्था ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भारत में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 5.4 करोड़ अमेरिकी डालर निवेश करने की घोषणा की है। अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (डीएफसी) ने मंगलवार को कहा कि पिछले तीन दशकों के दौरान भारत सबसे तेजी से वृद्धि करने वाले देशों में शामिल है, लेकिन वह महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहा है। खासतौर से कोविड-19 के मद्देनजर ऐसा है।
डीएफसी ने कहा कि वह भारत में राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) के लिए 5.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा। एनआईआईएफ भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने का काम करता है।