नई दिल्ली। ब्रिटेन की तेल खोज एवं उत्खननकर्ता कंपनी केयर्न एनर्जी ने भारत में अपनी इकाई के खिलाफ पिछली तारीख से टैक्स लगाने के नोटिस को लेकर भारत सरकार से 5.6 अरब डॉलर (37,400 करोड़ रुपए) मुआवजे की मांग की है। टैक्स विभाग की ओर से 29,047 करोड़ रुपए की यह मांग 10 साल पुराने मामले से संबंधित है। केयर्न उसे अंपने आंतरिक पुनर्गठन का मामला बताती है।
एडिनबर्ग की कंपनी ने 28 जून को एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ निर्णय समिति के सामने रखे 160 पन्ने के दावे में मांग की है कि भारत सरकार उसके खिलाफ टैक्स का नोटिस वापस ले। कंपनी ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार ब्रिटेन के साथ निवेश संरक्षण संधि के तहत अपने यहां दूसरे पक्ष के निवेश के साथ निष्पक्ष एवं न्यायोचित व्यवहार करने की अपनी जिम्मेदारियां निभाने में विफल रही है।
केयर्न ने की टैक्स मामले में मूल राशि का 15% भुगतान की पेशकश, उठाना चाहती है छूट का लाभ
कंपनी ने कहा है कि भारत के इनकम टैक्स विभाग द्वारा जनवरी 2014 में जारी नोटिस के कारण केयर्न इंडिया में बची उसकी 9.8 फीसदी हिस्सेदारी का मूल्य गिर गया और उसे नुकसान हुआ। इसके खिलाफ उसने 1.05 अरब डॉलर का मुआवजा मांगा है। केयर्न इंडिया पहले केयर्न एनर्जी की अनुषंगी थी पर अब कंपनी वेदांता समूह के हाथ में चली गई है। यी है। केयर्न ने कहा है कि यदि पंचनिर्णय समिति यह निर्णय करती है कि वह भारत को इस गैरकानूनी टैक्स नोटिस को लागू कराने से नहीं रोकेगी तो उसे भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के उल्लंघन के कारण केयर्न इंडिया में उसके बाकी बचे शेयरों के मूल्य में गिरावट से हुए नुकसान, उस पर ब्याज और जुर्माने के रूप में कुल 5.587 अरब डॉलर (37,400 करोड़ रुपए) का मुआवजा दिया जाए।
कंपनी ने जो कुल मुआवजा मांगा है वह केयर्न इंडिया में उसकी 9.8 फीसदी हिस्सेदारी के मूल्य और नोटिस में मांगी गई टैक्स राशि के योग के बराबर है। जिनीवा के पंच न्यायाधीश लॉरेंट लेवी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पंचनिर्णय समिति ने केयर्न एनर्जी याचिका पर मई में सुनवाई शुरू की। कंपनी ने पिछले महीने दावे के निपटान की याचिका दायर की। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार केयर्न के दावों के खिलाफ बचाव में नवंबर में जवाब दायर करेगी और उम्मीद है कि साक्ष्य आधारित सुनवाई 2017 की शुरुआत में शुरू होगी।