नई दिल्ली। केयर्न एनर्जी के सीईओ साइमन थॉमसन ने कहा कि उन्हें अगले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने की उम्मीद हैं, ताकि भारत को सुविधाजनक तरीके से 1.4 अरब डॉलर के कर फैसले को पूरा करने के लिए तैयार किया जा सके। एडिनबर्ग स्थित कंपनी ने पिछले महीने भारत सरकार को लिखा था कि रेट्रोस्पेक्टिव करों पर मुकदमा हारने के बाद यदि सरकार 1.4 अरब डॉलर का भुगतान करने में विफल रहती है, तो कंपनी भारत सरकार की परिसंपत्तियों को जब्त करने के लिए मजबूर हो सकती है। कंपनी ने मुख्य कार्यकारी के एक वीडियो के साथ ट्वीट किया, ‘‘केयर्न एनर्जी के सीईओ साइमन थॉमसन अगले हफ्ते दिल्ली में भारत सरकार के वित्त मंत्री से मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’’ इसके साथ ही कंपनी ने कर फैसले का सम्मान करने का आग्रह किया है।
एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने दिसंबर में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि भारत ने 2014 में ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया था, जब आयकर विभाग ने 10,247 करोड़ रुपये का कर लगा दिया था। थॉमसन ने वीडियो संबोधन में कहा, ‘‘अब मध्यस्थता को अंतिम रूप दे दिया गया है। फैसला आ गया है और हम अनुरोध करेंगे कि भारत सरकार फैसले पर तेजी से आगे बढ़े।’’ उन्होंने कहा कि यह केयर्न के शेयरधारकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो वैश्विक वित्तीय संस्थान हैं और जो भारत में एक सकारात्मक निवेश माहौल देखना चाहते हैं। केयर्न एनर्जी के सूचीबद्ध होने से पहले 2006-07 में भारतीय कारोबार के पुनर्गठन से कंपनी को हुए कथित पूंजीगत लाभ पर करों के रूप में कर विभाग ने 10,247 करोड़ रुपये मांगे थे, और इसके तुरंत बाद विभाग ने केयर्न इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी जब्त कर ली। न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में केयर्न को हुए नुकसान की भरपाई के लिए भारत सरकार से 1.4 अरब डॉलर देने को कहा। केयर्न मध्यस्थता आदेश पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया को समझने के लिए वित्त मंत्री के साथ एक बैठक करना चाहती है, जबकि उसके शेयरधारक प्रबंधन से धन वापस पाने के लिए कार्रवाई करने को कह रहे हैं। इस आदेश के करीब डेढ़ महीने बाद भी सरकार ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया है कि क्या वह फैसले का सम्मान करना चाहती है, हालांकि भुगतान तुरंत करना था। सीतारमण के कार्यालय ने अभी तक थॉमसन को समय नहीं दिया है। थॉमसन ने वीडियो में कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि सरकार के साथ मिलकर हम इसे तेजी से अंजाम तक पहुंचा सकते हैं, और निवेशकों को भरोसा दिला सकते हैं कि भारत में सकारात्मक निवेश का माहौल है।’’