नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एनडीए सरकार के कार्यकाल में पिछले साल कोयला ब्लॉकों की ऑनलाइन नीलामी के पहले दो दौर में खामी निकाली है। उसका कहना है कि इनमें 11 ब्लॉकों के मामले में जिस तरह कंपनी समूहों ने अपनी संयुक्त उद्यम कंपनियों या समूह की अनुषंगियों के जरिए एक से अधिक बोलियां पेश की थीं उससे यह भरोसा नहीं होता कि इन दो दौर में प्रतिस्पर्धा का संभावित स्तर हासिल हो गया हो गया।
इन दो चरणों में कुल 29 कोयला खदानों की सफल नीलामी हुई थी। कोयला खदानों की ऑनलाइन (ई) नीलामी पर कैग की संसद में पेश ताजा रपट में कहा गया है कि इन नीलामियों में 11 कोयला ब्लॉक की में कंपनी समूहों ने अपनी अनुषंगी कंपनियों या संयुक्त उद्यमों के जरिए एक से अधिक बोलियां लगाईं। ऐसे में उसकी राय है कि हो सकता है इससे प्रतिस्पर्धा बाधित हुई हो। रिपोर्ट में कहा गया है, ऑडिट में यह भरोसा नहीं जगा कि पहले दो चारों में 11 कोयला खदानों की नीलामी में प्रतिस्पर्धा का संभावित स्तर हासिल हो गया होगा। इसके अनुसार ऐसे परिदृश्य में जबकि मानक टेंडर दस्तावेज (एसटीडी) के तहत संयुक्त उद्यम की भागीदारी की अनुमति दी जाती है।
ई नीलामी में भाग लेने वाली क्यूबी की संख्या सीमित की जाती है तो ऑडिट में यह कहीं आश्वासन नहीं मिलता कि पहले दो चरणों में नीलाम हुई उक्त 11 कोयला खदानों की बोली के दूसरे चरण में प्रतिस्पर्धा का संभातिव स्तर हासिल किया गया था। इसके अनुसार कोयला मंत्रालय ने नीलामी के तीसरे चरण में संयुक्त उद्यम भागीदारी संबंधी उपबंध में संशोधन किया था ताकि भागीदारी बढ़ाई जा सके। वहीं आधिकारिक सूत्रों ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया में कहा कि केवल छह प्रतिशत क्यूबी ही संयुक्त उद्यम कंपनियां थी और सफल बोलीदाताओं में केवल एक ही संयुक्त उद्यम कंपनी थी जो कि इस बाद का स्पष्ट संकेत है कि उक्त प्रावधान से प्रतिस्पर्धा सीमित नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार दिल्ली उच्च न्यायालय ने नीलामी के इस प्रावधान को सही ठहराया था।