अहमदाबाद। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने राज्य सरकार के उपक्रम गुजरात राज्य पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (जीएसपीसी) के कृष्णा गोदावरी बेसिन स्थित ब्लॉक में 19,576 करोड़ रुपए के निवेश को लेकर सवाल उठाया है। कैग ने कहा है कि इस ब्लॉक के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। वर्ष 2005 में जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब यह घोषणा की गई थी कि जीएसपीसी को केजी बेसिन ब्लॉक में 20 अरब घनफुट गैस भंडार का पता चला है। इस ब्लॉक को दीनदयाल ब्लॉक नाम दिया गया। लेकिन क्षेत्र से अभी तक गैस का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।
गुजरात विधानसभा में दो दिन पहले रखी गई कैग की रिपोर्ट में जीएसपीसी की वित्तीय स्थिति को लेकर धुंधली तस्वीर पेश की गई है। राज्य सरकार के इस उपक्रम का मार्च 2015 में कर्ज 19,716 करोड़ रुपए था जो कि 2011 के बाद से 177 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने 2006-10 के बीच विदेशों में भी ब्लॉक हासिल किए। कंपनी ने ये ब्लॉक संचालक के तौर पर लिए जिसमें अधिक हिस्सेदारी खरीदी गई और उसे विदेशों में काम का कोई अनुभव भी नहीं था। इन ब्लॉक में काम शुरू होने में देरी से लागत बढ़ती चली गई।
केजी बेसिन स्थित ब्लॉक की गतिविधियों से भी कंपनी की उधारी बढ़ती चली गई और 31 मार्च 2015 को यह 19,716.27 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। जो कि 31 मार्च 2011 के 7,126.67 करोड़ रुपए के उधार के मुकाबले 177 फीसदी बढ़ गई। कंपनी को केजी बेसिन ब्लॉक में गतिविधियों को बढ़ाने के लिये काफी कुछ कर्ज पर निर्भर होना पड़ा है और उसका कुछ ब्याज बोझ जो कि 2011-12 में 981.71 करोड़ रुपए से बढ़कर 2014-15 में 1,804.06 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। कैग रिपोर्ट के मुताबिक जीएसपीसी का 2,329.52 करोड़ रुपए का बकाया भी है। यह बकाया कंपनी को अपनी संयुक्त उद्यम भागीदारी जिओग्लोबल रिसोर्सेज एण्ड जुबिलियेंट ऑफशोर ड्रिलिंग से वसूलना है।