नई दिल्ली। सरकारी लेखा परीक्षक कैग ने कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन के डी-6 गैस ब्लॉक में रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा लागत के नाम पर 1.6 अरब डॉलर ज्यादा वसूली का मामला उठाया है। साथ ही कैग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि बंगाल की खाड़ी में सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी के ब्लॉक की गैस खिसक कर रिलायंस इंडस्ट्रीज के ब्लॉक में गई है।
संसद में पेश भारत के नियंत्रक एवं लेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा है कि अनुबंध के हिसाब से रिलायंस को आवंटित केजी-डी6 ब्लॉक का 831.88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र उससे वापस लिया जाना चाहिए और क्षेत्र में खोज पर जो लागत आई है। क्षेत्र से तेल एवं गैस की बिक्री करके लागत वसूली की कंपनी को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा इस क्षेत्र में खोज की पुष्टि करने के लिए किए गए परीक्षण की लागत वसूली पर भी गौर किया जाना चाहिए।
कैग ने रिपोर्ट में कहा है कि नवंबर 2015 में स्वतंत्र विश्लेषक डेगोलेयर एण्ड मैक नॉघटन (डी एंड एम) ने अपनी सौंपी रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया है कि इसमें ओएनजीसी के ब्लॉक से गैस निजी क्षेत्र की कंपनी रिलायंस के क्षेत्र में चली गई। यह जांच रिपोर्ट रिलायंस के केजी-डी6 क्षेत्र और ओएनजीसी संचालित ब्लॉक के हाइड्रोकार्बन भंडार के एक दूसरे से जुड़े होने के मामले में दी गई थी। बहरहाल, सरकार ने न्यायमूर्ति ए.पी. शाह की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति को नियुक्त किया है जो कि इस रिपोर्ट पर विचार करेगी और भविष्य में इस पर कारवाई के बारे में सिफारिश देगी।
कैग ने कहा है, यदि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, डी एंड एम की रिपोर्ट के इस निष्कर्ष को कि रिलायंस ने ओएनजीसी के साथ लगते क्षेत्र से गैस निकाली है, को स्वीकार करता है। परिणामस्वरूप रिलायंस को ओएनजीसी को क्षतिपूर्ति का निर्देश देता है तो इससे केजी-डीडब्ल्यूएन-98-3 के समूची वित्तीय स्थिति पर असर होगा। इसमें क्षेत्र में जब से उत्पादन शुरू हुआ :अप्रैल 2009 से लेकर: तब से लेकर अब तक पेट्रोलियम लागत, पेट्रोलियम मुनाफा, रायल्टी और कर आदि की गणना प्रभावित होगी। कैग ने कहा है कि 2006 से 2012 की पिछली लेखापरीक्षा के दौरान उसने जो कई मुद्दे उठाए थे वह अभी भी बने हुए हैं।