मुंबई। देश का चालू खाते का घाटा (CAD) दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान कम होकर जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रह गया। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 1.5 प्रतिशत पर था। कैड में कमी आने के पीछे मुख्य वजह कम व्यापार घाटा रहा। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा, 2015-16 की तीसरी तिमाही में भारत का कैड 7.1 अरब डालर पर जीडीपी का 1.3 प्रतिशत:, 2014-15 की तीसरी तिमाही के 7.7 अरब डालर और जीडीपी के 1.5 प्रतिशत के मुकाबले कम रहा है। इससे पिछली तिमाही में यह 8.7 अरब डालर और जीडीपी का 1.7 प्रतिशत रहा। वर्ष 2015-16 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही के भुगतान संतुलन के आंकड़े जारी करते हुये इसमें कहा गया है कि प्राथमिक तौर पर कैड में गिरावट निम्न व्यापार घाटे की वजह से रही। बीते साल इसी तिमाही में व्यापार घाटा 34 अरब डालर रहा जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 38.6 अरब डालर और पिछली तिमाही में 37.4 अरब डालर था।
वर्ष के दौरान अप्रैल से दिसंबर अवधि में CAD घटकर 1.4 प्रतिशत रह गया जबकि इससे पिछले साल इसी अवधि में यह 1.7 प्रतिशत था। रिजर्व बैंक ने कहा है कि निवल सेवा प्राप्तियां साल दर साल आधार पर कुछ हल्की पड़ी हैं। वित्तीय सेवाओं और परिवहन निर्यात प्राप्तियों में कमी की वजह से ऐसा हुआ। हालांकि पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें कुछ सुधार आया। केन्द्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि दूसरी तिमाही में कुछ कमजोर पड़ने के बाद तीसरी तिमाही में शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में फिर तेजी आई और यह 10.8 अरब डालर पर पहुंच गया। वर्ष 2015-16 की तीसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा आरक्षित भंडार 4.1 अरब डालर बढ़ गया।