नई दिल्ली। भारत में सिंगल ब्रांड रिटेल कारोबार में बड़े विदेशी निवेशकों को 30 प्रतिशत स्थानीय खरीद की शर्त में कुछ ढील देने के प्रस्ताव पर जल्द ही कैबिनेट में विचार-विमर्श किया जाएगा। इस नियम के अनुपालन के लिए बड़े निवेशकों को कुछ अधिक समय दिया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंत्रिमंडल नोट के मसौदे को आर्थिक मामलों के विभाग समेत विभिन्न मंत्रालयों को भेजकर उनकी राय मांगी है। विभागों की टिप्पणी प्राप्त होने के बाद मंत्रालय इस पर विचार के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रखेगा।
प्रस्ताव के तहत सिंगल ब्रांड वाली रिटेल कंपनियां अगर 20 करोड़ डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाती हैं, उन्हें दुकान खोलने से पहले ऑनलाइन स्टोर खोलने की मंजूरी दी जा सकती है। आईफोन बनाने वाली एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने के इरादे से यह कदम उठाया जा रहा है।
लेकिन ऐसी कंपनियों को ऑनलाइन बिक्री शुरू होने से दो साल के भीतर दुकान खोलनी होगी। फिलहाल सिंगल ब्रांड रिटेल कंपनियों को दुकान खोलने के बाद ही ऑनलाइन बिक्री की अनुमति है।
रिटेल कारोबारियों को वैश्विक परिचालन के लिए भारत से 30 प्रतिशत खरीद की अनिवार्यता के विपरीत शुरुआती 6 से 10 साल तक बढ़ी हुई मात्रा में खरीद समायोजित करने की भी अनुमति दी जा सकती है। फिलहाल यह पहली दुकान खुलने के पहले साल एक अप्रैल से पांच साल के लिए है। हालांकि यह छूट एफडीआई की मात्रा पर निर्भर करेगी।
क्षेत्र में 10 करोड़ डॉलर निवेश करने वालों को छह साल तथा 20 करोड़ डॉलर तथा 30 करोड़ डॉलर निवेश लाने वालों को क्रमश: 8 साल और 10 साल का समय दिया जाएगा। वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल-सितंबर में देश में एफडीआई 11 प्रतिशत घटकर 22.66 अरब डॉलर रहा।