नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में कच्चे तेल के रणनीतिक भंडारण के लिए 3,874 करोड़ रुपये व्यय करने की बुधवार को मंजूरी दी । बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय ने इस तेल की खरीद पर 3,874 करोड़ रुपये व्यय किए थे। बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में पहले की गयी इस खरीद को मंजूरी दे दी गयी। इस तेल की खरीद औसतन 19 डॉलर प्रति बैरल रही। यह जनवरी 2020 में तेल की औसत 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत के मुकाबले काफी कम थी। जावडे़कर ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि भारत में रणनीतिक भंडार में रखे तेल का व्यापार करने के लिए अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी को भी मंजूरी प्रदान कर दी गयी है। कंपनी ने इस रणनीतिक भंडारण का एक हिस्सा पट्टे पर लिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें नीचे चले जाने का लाभ उठाते हुए सरकार ने अप्रैल-मई में 1.67 करोड़ बैरल कच्चे तेल का भंडारण किया था। सरकार ने अप्रैल-मई में कच्चे तेल की कीमतों के दो दशक के निचले स्तर पर चले जाने के दौरान इन तीन भंडारण सुविधाओं को भर लिया था। इस खरीद से उसे 68.51 करोड़ डॉलर या 5,069 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली।
जावडे़कर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी को इस रणनीतिक भंडार के तेल का व्यापार करने की अनुमति भी दे दी है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है। देश में आकस्मिक समय के लिए तीन स्थानों पर भूमिगत तेल भंडारण सुविधा विकसित की गयी है। भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने कर्नाटक के मंगलुरू और पद्दूर एवं आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में तीन भूमिगत भंडारण सुविधा विकसित की हैं। इन्हें आपूर्ति और मांग में अंतर आने के दौरान कीमतों को स्थिर रखने के लिए तैयार किया गया है। मंगलुरू की भूमिगत सुविधा की भंडारण क्षमता 15 लाख टन है। आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने अपना तेल भंडारित करने के लिए इसकी आधी क्षमता को पहले ही किराये पर लिया था। बाकी बची आधी क्षमता को भी उसने अप्रैल-मई में किराये पर ले लिया। पट्टे पर देने के लिए किए गए समझौते में किसी भी आकस्मिक स्थिति के दौरान भारत के पास इस भंडारित कच्चे तेल को उ़पयोग करने का पहला अधिकार होगा। पद्दूर भंडारण सुविधा की क्षमता तीनों में सबसे अधिक है। इसकी कुल क्षमता 25 लाख टन है। आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी ने नवंबर 2018 में इसकी भी आधी क्षमता को किराये पर लेने के लिए समझौता किया था लेकिन वास्तव में कभी यहां तेल भंडारण किया ही नहीं। भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है। इन तीनों भंडारण सुविधाओं में मौजूद तेल से देश की साढ़े नौ दिन की जरूरत पूरी की जा सकती है।