नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) तथा ब्रिक्स प्रवर्तित नव विकास बैंक (एनडीबी) और सदस्य राष्ट्रों के अन्य विकास वित्त संस्थानों के बीच करार को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद सदस्य देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एनडीबी के साथ सरकार द्वारा ब्रिक्स अंतरबैंक सहयोग व्यवस्था के तहत सामान्य सहयोग के लिए सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत की अनुमति दी गई। एक आधिकारिक बयान के अनुसार यह व्यवस्था आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव व एक्जिम बैंक के स्तर पर कार्य करेगी। इस करार पर कोई वित्तीय खर्च नहीं होगा।
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- बयान में कहा गया है कि इस प्रस्ताव से ब्रिक्स देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक रिश्ते बढ़ेंगे और समझौते से ब्रिक्स देशों के संस्थानों को फायदा होगा।
- यह एमओयू गैर बाध्यकारी करार है, जिसका मकसद राष्ट्रीय कानूनों और नियमनों के दायरे में सहयोग की रूपरेखा स्थापित करना है।
- इसके अलावा एमओयू का उद्देश्य कौशल स्थानांतरण और ज्ञान को साझा करना है।
- एनडीबी की स्थापना ब्रिक्स देशों के नजदीकी संबंधों को बताती है।
- यह सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने का एक मजबूत माध्यम है।
- इसके जरिये भारत और बड़ी अंतरराष्ट्रीय भूमिका निभा सकता है।
- ब्रिक्स देशों के पांच बैंकों ने सदस्य देशों तथा उपक्रमों के बीच व्यापारिक और आर्थिक रिश्तों में मजबूती के लिए ब्रिक्स अंतरबैंक सहयोग तंत्र स्थापित किया है।
- ब्रिक्स अंतरबैंक सहयोग तंत्र ने सामान्य सहयोग के लिए एनडीबी के साथ एमओयू पर दस्तखत का प्रस्ताव किया है।