नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल जल्द पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) अधिनियम, 2013 में संशोधन पर विचार कर सकता है। इससे जुड़ा विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की उम्मीद है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि इस संशोधन विधेयक में संभवत: एनपीएस ट्रस्ट को पीएफआरडीए से अलग करने का प्रावधान शामिल होगा। इसके अलावा इसमें पेंशन क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को मौजूदा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रावधान भी शामिल हो सकता है।
संसद ने मार्च में बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने के विधेयक को मंजूरी दी थी। बीमा अधिनियम, 1938 में आखिरी बार संशोधन 2015 में किया गया था। उस समय क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया गया था। इससे पिछले पांच साल में क्षेत्र में 26,000 करोड़ रुपये का एफडीआई आया है। सूत्रों ने कहा कि इन संशोधनों के साथ एनपीएस न्यास के अधिकार, कामकाज और दायित्व संभवत: परमार्थ न्यास या कंपनी कानून के तहत आएंगे। अभी ये पीएफआरडीए (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास) नियमन, 2015 के तहत आते हैं। इस पूरी कवायद का मकसद एनपीएस ट्रस्ट को पेंशन नियामक से अलग करना और 15 सदस्यीय सक्षम बोर्ड का प्रबंधन करना है। इनमें से अधिकांश सदस्य सरकार से होंगे। इनमें राज्य भी शामिल हैं, जिनका इस कोष में बड़ा हिस्सा रहता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक उचित ढांचे के साथ एनपीएस ट्रस्ट को पीएफआरडीए से अलग करने की घोषणा की थी। इसके तहत अंशधारकों के व्यापक हितों का ध्यान रखा जाएगा। इस ट्रस्ट का गठन पीएफआरडीए ने एनपीएस के तहत संपत्तियों और कोष के प्रबंधन के लिए किया था। दोनों भूमिकाओं को अलग करने पर पिछले कुछ साल से विचार चल रहा है।
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