Story Highlightsएक फरवरी को पेश हो सकता है आम बजट, मंत्रिमंडल करेगा फैसलाआम बजट के साथ रेल बजट को मिलाने पर भी होगा फैसलाइन फैसलों से बजट में किए गए सभी ऐलानों को 1 अप्रैल से हर हाल में लागू कर देना है।नई दिल्ली। बुधवार को होने वाली होने वाली कैबिनेट की बैठक में सरकार ऐतिहासिक फैसला ले सकती है। जिसके तहत रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाया जा सकता है। इसके अलावा कैबिनेट में बजट जनवरी के अंत में या फिर एक फरवरी को पेश करने पर भी फैसला हो सकता है। अब तक आम बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता रहा है।ये भी पढ़े: 24 जनवरी से शुरू हो सकता है बजट सत्र, मंत्रिमंडल की बैठक में होगा विचारक्यों जरूरी है ये फैसलासरकार का इरादा समूची बजट प्रक्रिया को एक अप्रैल को नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरी करने का है, ताकि बजट प्रस्तावों को नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही अमल में लाया जा सके।यही वजह है कि बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया को समय से पहले शुरू किया जा रहा है और फरवरी अंत के बजाय फरवरी के पहले दिन बजट पेश करने का फैसला किया जा सकता है।ये भी पढ़े: मंत्रिमंडल ने एपीटीए के तहत आयात शुल्क छूट आदान-प्रदान को दी मंजूरीइन पर फैसला संभवसूत्रों के अनुसार सरकार संसद का बजट सत्र 25 जनवरी 2017 से पहले बुला सकती है। एक फरवरी को आम बजट पेश करने से एक दो दिन पहले आर्थिक समीक्षा पेश की जा सकती है।सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: के अग्रिम अनुमान आंकड़े अब फरवरी के बजाय सात जनवरी को पेश किये जा सकते हैं। विभिन्न मंत्रालय अब व्यय की मध्यवर्षीय समीक्षा 15 नवंबर तक पूरी कर सकते हैं।सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे मकसद पूरी बजट प्रक्रिया को 24 मार्च से पहले समाप्त करना है। विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक सहित पूरा बजट संसद में 24 मार्च से पहले पारित कराने की योजना है।सूत्रों की मानें तो आम बजट के साथ रेल बजट को मिलाने के बावजूद रेल मंत्रालय की ऑटोनॉमी बरकार रखी जा सकती है।चाहे नई ट्रेन चलाने की हो या फिर नई सुविधाएं देने की इसका फैसला रेल मंत्रालय ही करता रहेगा।दूसरी ओर इसी कैबिनट में आम बजट 1 महीने पहले पेश करने को मंजूरी मिल सकती है।इसका मकसद बजट में किए गए सभी ऐलानों को 1 अप्रैल से हर हाल में लागू कर देना है।अगर कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो इसी साल से जनवरी के आखिरी हफ्ते में बजट पेश किया जा सकता है।फिलहाल आम बजट 27 फरवरी को पेश किया जाता है। बजट में विभिन्न मंत्रालयों के खर्च को योजना और गैर-योजना बजट के तौर पर दिखाये जाने की व्यवस्था को भी समाप्त किये जाने का प्रस्ताव है। इस पर भी बैठक में निर्णय लिया जा सकता है।