नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल घाटे में चल रही एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन पर जल्दी ही कुछ निर्णय कर सकता है। नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि करदाता का पैसा एयरलाइन में लगाये जाने के बजाए उसका स्वास्थ्य एवं शिक्षा में उपयोग किया जा सकता है। एयर इंडिया को पिछली संप्रग सरकार से 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रोत्साहन पैकेज मिला था। एयरलाइंस फिलहाल कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच वित्तीय स्थिति में सुधार के उपायों पर काम कर रही है।
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नागर विमानन मंत्रालय एयर इंडिया के पुनर्गठन के लिये नीति आयोग की सिफारिशों पर गौर कर रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्ताह एयर इंडिया के विनिवेश की वकालत करते हुए कहा था कि एयरलाइंस की बाजार हिस्सेदारी करीब 14 प्रतिशत है जबकि कर्ज का बोझ 50,000 करोड़ रुपए है।
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सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि मंत्रिमंडल एयर इंडिया के निजीकरण पर फैसला कर सकता है जिसकी वित्तीय स्थिति काफी खराब है। अधिकारी ने कहा कि एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति काफी खराब है। नीति आयोग का विचार है कि सरकार को एयर इंडिया पर 30,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बजाए स्वास्थ्य, शिक्षा पर खर्च करना चाहिए। उन्हों कहा कि मंत्रिमंडल जल्दी ही एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन पर निर्णय करेगा।