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केंद्रीय मंत्रिमंडल का बड़ा फैसला, पेट्रोलियम और वित्त मंत्रालय को दिया तेल ब्‍लॉक आवंटित करने का अधिकार

सरकार ने वित्त और पेट्रोलियम मंत्रियों को मौजूदा नीलामी में सफल बोलीदाता को तेल एवं गैस ब्लॉक आवंटित करने की अनुमति बुधवार को दे दी। लाइसेंस देने में तेजी तथा कारोबार सुगमता के मकसद से यह कदम उठाया गया है।

Edited by: Manish Mishra
Published on: April 11, 2018 20:09 IST
Oil and Gas Sector- India TV Paisa

Oil and Gas Sector

 

नई दिल्ली। सरकार ने वित्त और पेट्रोलियम मंत्रियों को मौजूदा नीलामी में सफल बोलीदाता को तेल एवं गैस ब्लॉक आवंटित करने की अनुमति बुधवार को दे दी। लाइसेंस देने में तेजी तथा कारोबार सुगमता के मकसद से यह कदम उठाया गया है। अबतक केवल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल को ही तेल एवं गैस की खोज तथा उत्पादन के लिए ब्लॉक या क्षेत्र आवंटित करने का अधिकार था।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सरकार की कारोबार सुगमता पहल के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री तथा वित्‍त मंत्री को सफल बोलीदाताओं को ब्लॉक या अनुबंध क्षेत्र आवंटित करने का अधिकार देने को मंजूरी दे दी है।

दोनों मंत्री सचिवों की अधिकार प्राप्‍त समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बोली (आईसीबी) के बाद हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) के अंतर्गत सफल बोलीकर्ताओं को ब्‍लॉक/ठेके के क्षेत्रों की स्‍वीकृति देंगे।

यह अधिकार एचईएलपी के अंतर्गत खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) बोली दौर के लिए दिया गया है। फिलहाल ओएएलपी का पहला दौर जारी है। तेल एवं गैस की संभावना तलाशने के लिये 55 ब्लॉक की पेशकश की गई है। इसकी अंतिम तारीख दो मई है। इन ब्लॉकों का आवंटन जुलाई तक किया जाएगा।

बयान के अनुसार, एचईएलपी के अंतर्गत ब्‍लॉक एक वर्ष में दो बार दिए जाएंगे। ऐसे में अधिकार सौंपने से ब्‍लॉक देने के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी और कारोबार सुगमता को प्रोत्साहन मिलेगा।

पिछले वर्ष जुलाई में सरकार ने कंपनियों को अपनी रुचि के अनुसार ब्लॉक लेने की अनुमति दी। इसका मकसद खोज एवं उत्खनन से दूर 28 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को खोज एवं उत्पादन के दायरे में लाना है। नीति (एचईएलपी) के तहत कंपनियों को उन क्षेत्रों क्षेत्र में तेल एवं गैस की संभावना का पता लगाने को लेकर रुचि पत्र जमा करने की अनुमति दी गयी जहां फिलहाल कोई उत्पादन या खोज लाइसेंस नहीं दिया गया है।

एचईएलपी ने नई खोज लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) का स्थान लिया है। पुरानी नीति के तहत सरकार खुद क्षेत्र को अलग करती और उसके लिए बोली आमंत्रित करती थी।

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