नई दिल्ली। चीनी के कम भाव की मार की वजह से गन्ना किसानों का भुगतान करने में असमर्थ चीनी उद्योग की मदद के लिए सरकार आगे आई है, सरकार ने गन्ना किसानों को 55 रुपए प्रति टन की दर से सब्सिडी का भुगतान करने का फैसला किया है। किसानों को यह भुगतान चीनी मिलों को बेचे गए गन्ने पर किया जाएगा। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ है। भुगतान सिर्फ उन्हीं मिलों के खरीदे गए गन्ने पर किया जाएगा जो तय शर्तों को पूरा करेंगी।
दरअसल इस साल चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन की वजह से चीनी का भाव बहुत ज्यादा घट गया है जिस वजह से मिलों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है और मिलों पर किसानों का कर्ज लगातार बढ़ रहा है। मिलें किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान करने में असमर्थ नजर आ रही हैं उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई थी।
चीनी उत्पादन की बात करें तो इस साल (चीनी वर्ष 2017-18) देश में 315 लाख टन से ज्यादा चीनी पैदा होने का अनुमान है, 15 अप्रैल तक कुल 299.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है और करीब 227 मिलों में उत्पादन का काम चला हुआ था। इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा ने बताया था कि इस साल का उत्पादन 315 लाख टन को पार कर सकता है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन होगा।
गन्ना किसानों को सब्सिडी की घोषणा का भी ISMA ने स्वागत किया है, ISMA के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा ने कहा कि चीनी उद्योग के सरकार के इस कदम से 1500-1600 करोड़ रुपए की राहत मिलेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि उद्योग के सामने परेशानी बहुत बड़ी है, अबिनाश वर्मा ने उम्मीद जताई की इस कदम के बाद सरकार गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की भलाई के लिए और भी कदम उठाएगी।