नई दिल्ली। आर्थिक विकास को गति देने और बैंकों की ऋण क्षमता को बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सरकारी बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए की पुन: पूंजीकरण योजना को अपनी मंजूरी दी है। सरकार डूबे कर्ज के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डालेगी। इसकेे जरियेे सरकार रोजगार पैदा करने, विकास और निवेश को गति देने का काम करेेेगी।
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने यहां कहा कि इसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपए बांड व शेष 76,000 करोड़ रुपए केंद्रीय बजट से दिए जाएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि बैंकों में यह पूंजी निवेश अगले दो वित्त वर्षों में किया जाएगा। जेटली ने कहा कि इसके साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों के लिए और भी कदम लागू किए जाएंगे। सुधारों की इस श्रृंखला की घोषणा अगले कुछ माह में होगी।
सरकार के इस कदम से बैंकिंग सेक्टर को थोड़ी राहत मिलेगी, जो अभी एनपीए की समस्या से भारी दबाव में है। ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 30 लिस्टेड बैंकों के ऊपर तकरीबन 8.35 लाख करोड़ रुपए के एनपीए का बोझ है, जिसे खत्म करना सरकार की पहली प्राथमिकता है।
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक पूंजीकरण बांड का स्वरूप और ब्योरा समय के साथ सार्वजनिक किया जाएगा। जून, 2017 में बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपए हो गईं। मार्च, 2015 में यह 2.75 लाख करोड़ रुपए थीं। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को इंद्रधनुष योजना के तहत 18,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इंद्रधनुष रूपरेखा 2015 में शुरू की गई थी। सरकार ने घोषणा की थी कि इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में चार साल के दौरान उनकी बासेल तीन के नियमों के अनुसार पूंजी के लिए 70,000 करोड़ रुपए डाले जाएंगे। इसी योजना के अंतर्गत बैंकों को 2015-16 में 25,000 करोड़ रुपए दिए गए। आगे के वर्ष के लिए भी इतनी ही राशि तय की गई है। वहीं 2017-18 और 2018-19 में बैंकों में दस-दस हजार करोड़ रुपए डाले जाएंगे।