नई दिल्ली। मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोकिंग कोल के क्षेत्र में सहयोग को लेकर भारत और रूस के बीच समझौते को मंजूरी दे दी। कोकिंग कोयला इस्पात निर्माण के लिये महत्वपूर्ण कच्चा माल है। घरेलू कंपनियां इस महत्वपूर्ण कच्चे माल के लिये कुछ देशों से आयात पर निर्भर हैं। देश में कोकिंग कोयले की मांग का 85 प्रतिशत हिस्सा आयात होता है। रूस के साथ सहयोग से भारत को कोकिंग कोल के लिए ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका जैसे सुदूर देशों पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। इससे इस्पात उत्पादन की प्रति टन लागत भी कम होगी।
आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोकिंग कोल के संबंध में आपसी सहयोग पर भारत के इस्पात मंत्रालय और रूसी संघ के ऊर्जा मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दे दी है।’’ बयान के अनुसार इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में भारत सरकार और रूस सरकार के बीच सहयोग को मजबूत करना है। सहयोग में शामिल गतिविधियों का उद्देश्य कोकिंग कोल के स्रोत में विविधता लाना है। इसमें कहा गया है कि इस एमओयू से कच्चे माल की लागत कम होगी जिससे पूरे इस्पात क्षेत्र को लाभ होगा। साथ ही यह भारत और रूस के बीच कोकिंग कोल क्षेत्र में सहयोग के लिए एक संस्थागत व्यवस्था प्रदान करेगा।
सरकार के मुताबिक इस एमओयू से पूरे इस्पात क्षेत्र को इनपुट लागत कम होने का लाभ मिलेगा। इससे देश में इस्पात की लागत में कमी आयेगी और समानता को बढ़ावा मिलेगा। वहीं भारत और रूस के बीच कोकिंग कोल क्षेत्र में सहयोग के लिए, यह समझौता ज्ञापन (एमओयू) एक संस्थागत व्यवस्था प्रदान करेगा। साथ ही इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में भारत सरकार और रूस सरकार के बीच सहयोग को मजबूत करना है। सहयोग में शामिल गतिविधियों का उद्देश्य कोकिंग कोल के स्रोत में विविधता लाना है।
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