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Cabinet Decision: इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर खर्च के लिए सरकार को चाहिए धन, कोल इंडिया में बिकेगी और 10% हिस्‍सेदारी

इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सेक्‍टर में खर्च बढ़ाने के लिए सरकार को और धन की जरूरत है और इसे कोल इंडिया लिमिटेड में 10 फीसदी हिस्‍सेदारी और बेचकर पूरा किया जाएगा।

Abhishek Shrivastava
Updated : November 18, 2015 16:47 IST
Cabinet Decision: इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर खर्च के लिए सरकार को चाहिए धन, कोल इंडिया में बिकेगी और 10% हिस्‍सेदारी
Cabinet Decision: इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर खर्च के लिए सरकार को चाहिए धन, कोल इंडिया में बिकेगी और 10% हिस्‍सेदारी

नई दिल्‍ली। देश में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सेक्‍टर में खर्च बढ़ाकर अर्थव्‍यवस्‍था को रफ्तार देने के लिए मोदी सरकार को और अधिक धन की आवश्‍यकता है। इस आवश्‍यकता को पूरा करने के लिए सरकार कोल इंडिया लिमिटेड में अपनी 10 फीसदी हिस्‍सेदारी और बेचेगी। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लि‍मिटेड में 10 फीसदी और हिस्‍सेदारी बेचने को मंजूरी दी गई है। सरकार को इस हिस्‍सेदारी बिक्री से 20 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्‍मीद है।

केंद्रीय कोयला और बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि कोल इंडिया में 10 फीसदी विनिवेश का समय वित्‍त मंत्रालय तय करेगा। उन्‍होंने आगे बताया कि इसके अलावा सरकार ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के आईपीओ लाने के प्रस्‍ताव को भी अपनी स्‍वीकृति दे दी है। कोचीन शिपयार्ड अभी एक यार्ड का संचालन करती है और आईपीओ के बाद मिली राशि से यह अपना विस्‍तार कर बड़े जहाजों को रिपेयर करने का काम शुरू कर सकती है।

गन्‍ना किसानों को डायरेक्‍ट मिलेगी सब्सिडी

कैबिनेट ने गन्‍ना किसानों को राहत देने के लिए प्रोडक्‍शन सब्सिडी का सीधा भुगतान किसानों को करने का फैसला किया है। बुधवार को कैबिनेट ने 2015-16 सीजन के लिए प्रति क्विंटल 4.50 रुपए प्रोडक्‍शन सब्सिडी का भुगतान सीधे किसानों को करने वाले प्रस्‍ताव को मंजूरी दी है। इससे किसानों को समय पर बकाया भुगतान सुनिश्चित होगा। चीनी मिलों पर गन्‍ना किसानों का 7,000 करोड़ रुपए बकाया है। इस कदम से सरकार पर 1147 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।

रेल व सड़क परियोजनाओं को भी मिली मंजूरी

बुधवार को कैबिनेट ने राजमार्ग मंत्रालय की शक्तियां बढ़ाने वाले प्रस्‍ताव को भी मंजूर कर लिया है। इसके तहत मंत्रालय अब उन प्रोजेक्‍ट्स पर टोल कलेक्‍शन की समयावधि को बढ़ा सकता है, जो जमीन अधिग्रहण में देरी की वजह से अटके हुए हैं। इससे पहले ऐसे किसी प्रोजेक्‍ट को एक्‍सटेंशन देने से पहले कैबिनेट की मंजूरी लेना आवश्‍यक था। लेकिन अब राजमार्ग मंत्रालय बिना कैबिनेट मंजूरी के ही यह निर्णय ले सकेगा। इसके अलावा यदि जमीन अधिग्रहण लागत की वजह से प्रोजेक्‍ट की कुल लागत में इजाफा होता है तो भी मंत्रालय को इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी नहीं लेनी होगी। लेकिन यदि सिविल कंस्‍ट्रक्‍शन लागत बढ़ती है तो कैबिनेट से मंजूरी लेना जरूरी होगा।

इसके अलावा कैबिनेट ने 10 हजार करोड़ रुपए वाले पांच रेलवे प्रोजेक्‍ट्स को भी अपनी मंजूरी दी है। इनमें एक मुंगेर में रेलरोड ब्रिज प्रोजेक्‍ट, उड़ीसा में दो कनेक्‍टीविटी प्रोजेक्‍ट और दो कनेक्‍टीविटी प्रोजेक्‍ट आंध्र प्रदेश के शामिल हैं। कैबिनेट ने गृह मंत्रालय के क्राइम एंड क्रिमिनल्‍स ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्‍टम्‍स (सीसीटीएनएस) में बड़े सुधार वाले प्रस्‍ताव को भी हरी झंडी दे दी है। कैबिनेट ने ई-कोर्ट्स के साथ सीसीटीएनएस को जोड़कर इंटीग्रेटेड क्रिमनल जस्टिस सिस्‍टम को लागू करने का निर्णय लिया है।

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