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माल्‍या और मोदी जैसे मामले अब नहीं आएंगे सामने, सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्‍यादेश को दी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्‍यादेश 2018 को लाने वाले प्रस्‍ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। यह अध्‍यादेश लोन डिफॉल्‍टर्स जैसे आर्थिक अपराधियों के देश से भागने पर उनकी संपत्ति जब्‍त करने की शक्ति प्रदान करेगा।

Written by: Abhishek Shrivastava
Updated on: April 21, 2018 16:27 IST
fugitive economic offenders- India TV Paisa

fugitive economic offenders

 

नई दिल्‍ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्‍यादेश 2018 को लाने वाले प्रस्‍ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। यह अध्‍यादेश लोन डिफॉल्‍टर्स जैसे आर्थिक अपराधियों के देश से भागने पर उनकी संपत्ति जब्‍त करने की शक्ति प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विजय माल्‍या और नीरव मोदी जैसे मामलें भविष्‍य में दोबारा न हों इसके लिए इस अध्‍यादेश को लाने का मन बनाया है। राष्‍ट्रपति की मंजूरी के बाद यह अध्‍यादेश प्रभावी हो जाएगा।

नए कानून के तहत सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भगोड़े अपराधी की देश में या देश से बाहर स्थित संपत्ति को जब्‍त करने की अनुमति मिलेगी। भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम को 12 मार्च को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के अवरोध की वजह से पारित नहीं हो पाया था। इस अधिनियम में नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्‍त करने का प्रस्‍ताव है, जो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गया।  

अध्‍यादेश में देश में वापस लौटने से इनकार करने वाले आर्थिक अपराधियों, कि अनुसुचित अपराध के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुके व्‍यक्ति के लिए और 100 करोड़ रुपए से अधिक का जानबूझकर बैंक का कर्ज न चुकाने वालों के लिए इसमें प्रावधान किया गया है। यह बिना दोषसिद्धी के संपत्ति जब्‍त करने और उसे बेचकर ऋणदाताओं को भुगतान करने का भी अधिकार प्रदान करेगा। ऐसे आर्थिक अपराधियों की रोकथाम पीएमएलए के तहत की जाएगी।   

इस अध्यादेश के तहत ऐसे भगोड़े अपराधी भी आएंगे जिनपर जाली सरकारी स्टाम्प और मुद्रा छापने, धन की कमी से चेक वापस होने, मनी लांड्रिंग (अपराध की कमाई को वैध धन दिखाने का प्रसास) और कर्जदाता के साथ धोखाधड़ी करने के सौदे में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी हैं। पीएमएलए 2002 के तहत नियुक्त निदेशक या उपनिदेशक किसी व्यक्ति विशेष को भगोड़ा घोषित करने के लिए विशेष अदालत में आवेदन कर सकता है। उसे संबंधित व्यक्ति के ठिकाने, उसकी जब्त की जाने वाली संपत्तियों, जब्त की जाने वाली बेनामी और विदेशी संपत्तियों की सूची और ऐसे व्यक्तियों की सूची देनी होगी, जिनका इन संपत्तियों से हित जुड़ा है। अदालत इस अर्जी के बाद भगोड़े व्यक्ति को हाजिर होने के लिए छह सप्ताह का समय देगी। यदि इस दौरान वह व्यक्ति हाजिर हो जाता है तो अदालत इस अध्यादेश के प्रावधानों के तहत शुरू की गई कार्रवाई को रोक देगी।

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