नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्ने से प्राप्त होने वाले और पेट्रोल में मिश्रित किए जाने वाले एथनॉल की कीमत में 1.47 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी को अपनी मंजूरी दे दी है। यह मूल्यवृद्धि दिसंबर से शुरू होने वाले 2021-22 विपणन वर्ष के लिए होगी। सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। पेट्रोल में उच्च मात्रा में एथनॉल के मिश्रण से भारत को अपने तेल आयात बिल में कटौती करने में मदद मिलेगी और इससे गन्ना किसानों के साथ ही साथ चीनी मिलों को भी फायदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने दिसंबर 2021 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष के लिए गन्ने के रस से प्राप्त किए जाने वाले एथनॉल की कीमत 62.65 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 63.45 रुपये प्रति लीटर करने का निर्णय लिया है। सी-हैवी मोलासेस से प्राप्त होने वाले एथनॉल की कीमत 45.69 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 46.66 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। बी-हैवी मोलासेस से प्राप्त होने वाले एथनॉल की नई कीमत 59.08 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है, जो पहले 57.61 रुपये प्रति लीटर थी।
तेल विपणन कंपनियां सरकार द्वारा तय की गई कीमत पर एथनॉल की खरीद करेंगी। 2020-21 विपणन वर्ष (दिसंबर-नवंबर) में पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण 8 प्रतिशत पर पहुंच गया है और इसके अगले साल 10 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य तय किया है।
इसके अलावा मंत्रिमंडल ने भारतीय कपास आयोग को 17,408.85 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध मूल्य समर्थन की मंजूरी प्रदान की है। 60 लाख किसान कपास क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जिनको इसका फायदा मिलेगा। जूट क्षेत्र के लिए वर्ष 2021-22 (जुलाई से जून) के लिए अनुमोदित अनिवार्य पैकेजिंग मानदंड के तहत खाद्यन्न पैकेजिंग में 100 प्रतिशत जूट और चीनी के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी प्रदान की गई है।
इसके अलावा कैबिनेट ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की बहाली व निरंतरता को मंजूरी दी .वित्त वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए एक किश्त में प्रति सांसद 2 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान दो किस्तों में 5 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी।
भारतीय इतिहास और संस्कृति में जनजातियों के विशेष स्थान और योगदान को सम्मानित करने व पीढ़ियों को इस सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव के संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने का निर्णय लिया है।