नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की पहली राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति को अपनी मंजूरी दे दी है। इसे ट्रेडमार्क पहचान की रक्षा के लिए बनाया गया है। इस पॉलिसी के जरिये देश में रचनात्मकता, नवोन्मेष और उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इस पॉलिसी का लक्ष्य समाज के हर तबके में आईपीआर के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक फायदों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बताया कि भारत में, हमारे पास बहुत ही प्रभावी और मजबूत ट्रेडमार्क कानून है, लेकिन यह पॉलिसी ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के लिए बनाई गई है।जेटली ने कहा कि बहुत सी चीजें अब ऑनलाइन शुरू हो चुकी हैं। 2017 तक ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन में केवल एक माह का समय लगेगा, जो अभी तक सालों लगते हैं।
जेटली के मतुाबिक आईपीआर नीति के लोगो में जागरूकता, प्रशासन, प्रवर्तन और न्याय करना सहित सात उद्देश्य हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग ने इस संबंध में मसौदा नीति तैयार की है। उन्होंने कहा, इस नीति का लक्ष्य है बौद्धिक संपदा के हर स्वरूप, इससे जुड़े नियम और एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाना और इसका उपयोग करना। जेटली के मुताबिक नीति के सात उद्देश्य हैं। इनमें आईपीआर के बारे में जागरूकता, आईपीआर के लिए प्रोत्साहन, सख्त एवं प्रभावी कानून की जरूरत और प्रवर्तन तथा न्याय प्रणाली को मजबूत किया जाना शामिल है ताकि नीतियों के उल्लंघन का मुकाबला किया जा सके। नीति में स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा तक पहुंच के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। उम्मीद है कि यह भारत में बौद्धिक संपदा के लिए भावी खाका तैयार करेगा। इसके अलावा इससे कार्यान्वयन, निगरानी और समीक्षा के लिए संस्थागत प्रणाली की व्यवस्था होगी। इसका लक्ष्य है भारतीय परिप्रेक्ष्य में वैश्विक स्तर पर प्रचलित बेहतरीन कार्य-व्यवहार को लागू करना और उसे अनुकूल बनना।
जेटली ने कहा कि ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन से जुड़ी अब सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। IPR पॉलिसी के पीछे का उद्देश्य एकदम स्पष्ट है, ट्रेड, कॉमर्स और इंडस्ट्री में जब ग्रोथ है, जब यहां नए इनवेंशन हो रहे हैं, तब ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए आईपीआर बहुत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि नई पॉलिसी में म्यूजिक और इंडस्ट्रियल ड्राइंगस को भी शामिल किया गया है।