नई दिल्ली। कालेधन पर बड़ी कार्रवाई करने के बाद अब मोदी सरकार ने बैंक लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एनपीए (गैर निष्पादित संपत्तियों) की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग रेगूलेशन एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए की समस्या बढ़ती ही जा रही है, जो सरकार के लिए बड़ी चिंता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 6 लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम आंकड़े पर पहुंच चुका है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका कोई ब्योरा दिए बगैर कहा कि कैबिनेट ने बैंकिंग क्षेत्र के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह की परंपरा है कि जब किसी प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, तो उसके ब्योरे का खुलासा उस पर मंजूरी से पहले नहीं किया जा सकता है। जेटली ने कहा कि जैसे ही इस पर मंजूरी मिलेगी, इसका ब्योरा साझा किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक इस अध्यादेश पर आज राज ही राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल हो जाएगी और इसकी ब्योरे के साथ आधिकारिक घोषणा गुरुवार को हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि अभी संसद का सत्र नहीं चल रहा है, ऐसे में यह अध्यादेश जारी किया गया है, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी लेना आवश्यक है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इससे पहले कहा था कि आरबीआई के साथ मिलकर एनपीए समाधान तंत्र तैयार किया गया है, जो डिफॉल्टर्स पर कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त दबाव बनाने में सक्षम होगा।