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सरकार ने दी मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी, जीएसटी में घटी दरों का लाभ मिलेगा उपभोक्‍ताओं को

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद घटी दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है।

Abhishek Shrivastava
Published : November 16, 2017 18:54 IST
सरकार ने दी मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी, जीएसटी में घटी दरों का लाभ मिलेगा उपभोक्‍ताओं को
सरकार ने दी मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी, जीएसटी में घटी दरों का लाभ मिलेगा उपभोक्‍ताओं को

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। इस प्राधिकरण के गठन के पीछे मकसद नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में घटी दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी की 28 प्रतिशत ऊंचे कर स्लैब में अब सिर्फ 50 वस्तुएं रह गई हैं। वहीं कई वस्तुओं पर कर की दर को घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है।

प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण देश के उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास है। यदि किसी ग्राहक को लगता है कि उसे घटी कर दर का लाभ नहीं मिल रहा है तो वह प्राधिकरण में इसकी शिकायत कर सकता है। मंत्री ने कहा कि यह सरकार की इस बारे में पूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह जीएसटी के क्रियान्वयन का पूरा लाभ आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है।

परिषद ने इससे पहले पांच सदस्यीय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी थी। कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा की अगुवाई वाली एक समिति प्राधिकरण के चेयरमैन और सदस्यों का नाम तय करेगी। इस समिति में राजस्व सचिव हसमुख अधिया, सीबीईसी के चेयरमैन वनाजा सरना और दो राज्यों के मुख्य सचिव शामिल हैं। प्राधिकरण का कार्यकाल चेयरमैन के पद संभालने की तारीख से दो साल का होगा। चेयरमैन और चार सदस्यों की उम्र 62 साल से कम होगी। मुनाफारोधी व्यवस्था के तहत स्थानीय प्रकृति की शिकायतों राज्य स्तर की जांच समिति को भेजी जाएंगी। वहीं राष्ट्रीय स्तर की शिकायतें स्थायी समिति को भेजी जाएंगी।

यदि गुणदोष के आधार पर कोई बड़ा मामला होने पर संबंधित समितियां उसे सेफगार्ड महानिदेशालय (डीजीएस) को भेज सकती हैं। डीजीएस अपनी जांच करीब तीन महीने में पूरी करने के बाद उसकी रिपोर्ट मुनाफा रोधी प्राधिकरण को भेजेगा। यदि प्राधिकरण को लगता है कि किसी कंपनी ने जीएसटी का लाभ ग्राहक को नहीं दिया है तो उसे यह लाभ उपभोक्ताओं को देने को कहा जाएगा। यदि उपभोक्ताओं की पहचान नहीं हो पाती है तो कंपनी को यह राशि एक निश्चित समय में ग्राहक कल्याण कोष में स्थानांतरित करनी होगी।

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