नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) संविधान संशोधन विधेयम में बदलावों को अपनी मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक फीसदी मैन्युफैक्चरिंग टैक्स खत्म करने और जीएसटी लागू होने से राज्यों को होने वाले किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई पांच सालों तक सुनिश्चित करने जैसी शर्तों को मंजूरी दी गई है। जीएसटी रेट के अलावा एक फीसदी इंटर-स्टेट टैक्स को खत्म कर सरकार ने विपक्षी दल कांग्रेस की तीन प्रमुख मांगों में से केवल एक मांग को पूरा किया है। इन मांगों को लेकर कांग्रेस पिछले लंबे समय से इस विधेयक को राज्य सभा में अटकाए हुए है।
कांग्रेस की जीएसटी रेट का उल्लेख संविधान में ही करने और सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्षता में विवाद निपटान संस्था के गठन वाली मांगों को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया जाएगा कि जीएसटी लागू होने पर केंद्र और राज्यों के बीच विवाद की सूरत में जीएसटी परिषद में मामला जाएगा और वही फैसला करेगी। इस परिषद में केंद्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे। जीएसटी विधेयक में किए गए इन बदलावों पर राज्यों की सहमति होने और विधेयक में इन संशोधनों पर कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार को लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की उम्मीद है। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक को संसद के चालू मानसून सत्र में ही पारित करा लिया जाएगा। संसद का यह सत्र 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इन ताजा बदलावों के साथ जीएसटी बिल को इस सप्ताह नहीं तो अगले सप्ताह जरूर चर्चा के लिए पेश किया जा सकता है।
कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए बदलाव पिछले साल अगस्त में लोकसभा द्वारा पारित किए गए संविधान संशोधन विधेयक में शामिल किए जाएंगे। राज्य सभा इस विधेयक को पारित कर देती है तो संशोधित विधेयक को दोबारा मंजूरी के लिए लोक सभा में भेजा जाएगा। वर्तमान स्वरूप में, केंद्र पहले तीन साल तक राज्यों को 100 फीसरी भरपाई करेगा, इसके बाद अगले दो सालों के दौरान क्रमश: 75 और 50 फीसदी भरपाई की जाएगी। संशोधन के मुताबिक, अब केंद्र जीएसटी लागू होने से पहले पांच सालों तक होने वाले राजस्व नुकसान की 100 फीसदी भरपाई की गारंटी देगा।
स्टॉक एक्सचेंज में FDI सीमा बढ़ी
विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए कदम उठाते हुए सरकार ने विदेशी कंपनियों को घरेलू शेयर या जिंस एक्सचेंजों में 15 फीसदी तक हिस्सेदारी रखने की अनुमति दे दी। अभी कोई विदेशी कंपनी भारत के एक्सचेंज में 5 फीसदी तक हिस्सेदारी रख सकती है। कैबिनेट ने भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा 5 से बढ़ाकर 15 फीसदी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को शेयर बाजारों में शुरुआती आवंटन के जरिये शेयर खरीदने के प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया है। यह फैसला बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ाने के मकसद से किया गया है।