अन्य शहर जैसे दिल्ली, अहमदाबाद, हैदराबाद और बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था क्रमश: फिलीपींस, वियतनाम, मोरक्को और स्लोवाकिया की मौजूदा अर्थव्यवस्था से बड़ी बन जाएंगी। मैकेंजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुंबई का उपभोग बाजार 2030 तक 245 अरब डॉलर का हो जाएगा, जबकि अन्य शहरों में यह बाजार 80 अरब डॉलर से 175 अरब डॉलर के बीच होगा।
यह है मुख्य वजह
इस अभूतपूर्व वृद्धि की मुख्य वजह होगी इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विसेज, हेल्थकेयर और एजुकेशन में सुधार। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह शहर निवेश और रोजगार सृजन के केंद्र बिंदु होंगे। 2012 से 2025 तक भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ का 77 फीसदी हिस्सा मेट्रोपोलिटन शहरों वाले 49 जिलों के क्लस्टर से आएगा। एमजीआई की पार्टनर अनु मडगावंकर का कहना है कि यह शहर उन लोंगो को बड़ी अर्थव्यवस्था का फायदा पहुंचाएंगे, जो नया बिजनेस स्थापित करना चाहते हैं। शहरीकरण के बढ़ते ट्रेंड की वजह से विस्तार हो रहा है। बड़े शहर और बड़े हो रहे हैं। यहां अधिक इकोनॉमिक गतिविधियां हो रही हैं, जो शहरीकरण में अपना योगदान दे रही हैं। मडगांवकर का कहना है कि जहां एक ओर टॉप मेट्रो शहरों का विस्तार हो रहा है, वहीं टियर-2 शहर जैसे पुणे, सूरत, इंदौर और विशाखापट्टनम भी इस मामले में पीछे नहीं हैं।
यह पांच क्षेत्र डाल सकते है अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव
एमआईजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि स्वीकार्य जीवन स्तर, सतत शहरीकरण, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल टेक्नोलॉजी और महिलाओं को आगे बढ़ाना ये पांच ऐसे क्षेत्र हैं जो भारत पर आर्थिक असर डाल सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार को अपनी क्षमता में वृद्धि करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पास लंबी अवधि में बेहतर प्रदर्शन करने की आकर्षक क्षमता है, इसकी मुख्य वजह मध्यम वर्ग की बड़ी संख्या है, जिसके 2025 तक मौजूदा 8.9 करोड़ से बढ़कर तीन गुना होने की उम्मीद है। भारत के नीति निर्माताओं के सामने इस ग्रोथ को ऐसे बनाए रखने की चुनौती है जो सतत आर्थिक प्रदर्शन का आधार हो। रिपोर्ट में कहा गया है भारत के वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बनने से सभी भारतीयों को इसका फायदा होगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आर्थिक उदारीकरण के बाद से भारत में जीवन स्तर में सुधार आया है लेकिन अभी इसमें और अधिक सुधार लाने की जरूरत है।