मुंबई। हीरक चतुर्भुज परियोजना के साथ मुंबई और अहमदाबाद के बीच 98,000 करोड़ रुपए की प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत 6,000 किलोमीटर उच्च गति के रेल नेटवर्क के निर्माण से एमएसएमई क्षेत्र के लिए 51 अरब डॉलर के कारोबारी अवसर सृजित हो सकते हैं। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। घरेलू एजेंसी स्मेरा रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार इन परियोजनाओं के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) से 30 फीसदी खरीद को अनिवार्य करती है, तो इससे एमएसएमई क्षेत्र के लिए 51 अरब डॉलर के कारोबार के अवसर सृजित हो सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर परियोजनाएं योजना के मुताबिक आगे बढ़ती हैं तो अगले 10 साल में 168 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे। इससे प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा नवप्रवर्तन के संदर्भ में एमएसएमई की तस्वीर बदल सकती है। इसके अलावा उनके लिए वित्त पोषण के अवसर बनेंगे। रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार इन परियोजनाओं के लिए 30 फीसदी कच्चे माल को एमएसएमई से खरीदने को अनिवार्य करती है तो मशीनरी, फैब्रिकेटेड मेटल समेत अन्य क्षेत्र से जुड़े एमएसएमई उद्योग विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।
रिपोर्ट में एमएसएमई मंत्रालय के हवाले से कहा गया है कि इस परियोजना से फैब्रिकेटेड मेडल उत्पादकों को 24 फीसदी, नॉन-मेटैलिक उत्पादकों को 12.5 फीसदी, स्पेशल पर्पज मशीनरी निर्माताओं को 12.1 फीसदी, टेक्सटाइल कंपनियों को 8.9 फीसदी और स्ट्रक्चरल मेटल उत्पादकों को 8 फीसदी फायदा होगा। वित्तीय जरूरत के लिहाज से बुलेट ट्रेन नेटवर्क अगले दस सालों तक एमएसएमई के कर्ज शॉर्टफॉल को 1.5 फीसदी तक कम कर सकता है। भारत की पहली बुलेट ट्रेन को जापान 12 अरब डॉलर का कर्ज एक फीसदी ब्याज पर 30 साल के लिए देने को राजी हो गया है।