नई दिल्ली। मुंबई से अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर लंबी बुलेट ट्रेन परियोजना का काम देख रहे नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) द्वारा शनिवार को मैंग्रोव पेड़ों की कटाई के संबंध में बयान आने के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मामले में ग्रीन एक्टिविस्ट्स की अर्जी पर्यावरण विभाग के पास भेजी। एनएचएसआरसीएल ने कहा कि उसने महाराष्ट्र में कम से कम मैंग्रोव वन के पेड़ों को नुकसान पहुंचाने के लिए ठाणे स्टेशन का डिजाइन दोबारा बनाया है।
ग्रीन एक्टिविस्ट्स (हरित कार्यकर्ता) और मछुआरा समुदाय ने पीएमओ से मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई में 54,000 मैंग्रोव का विनाश रोकने की मांग की है। कार्यकर्ताओं ने 25 जून को पीएमओ से संपर्क किया था। पीएमओ ने अपने जवाब में शुक्रवार को समूह से कहा कि मसले को पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिक महेंद्र फुलवारिया के पास भेज दिया गया है जो कार्रवाई रिपोर्ट पर जवाब देंगे।
कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से भी संपर्क कर उनसे समुद्रीय पादपों की रक्षा करने की मांग की। उन्होंने पीएमओ और मुख्यमंत्री से की गई मांग में कहा कि कल्पना कीजिए कि हम आजाद मैदान (मुंबई स्थित) के साढ़े पांच गुना आकार के बराबर मैंग्रोव वन खो देंगे। उन्होंने सरकार से मैंग्रोव को नष्ट करने के बजाय अन्य विकल्प तलाशने की मांग की।
एनएचएसआरसीएल के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने एक बयान में कहा कि पहले 53,000 मैंग्रोव वन के पेड़ काटे जाने वाले थे, लेकिन नई डिजाइन के बाद लगभग 32,044 पेड़ ही प्रभावित हो सकते हैं। खरे ने कहा, "वन्यजीव, वन और तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) से सभी जरूरी मंजूरियां ले ली गई हैं।"
उन्होंने कहा कि वन विभाग ने हालांकि कुछ शर्तो के साथ मंजूरी दी है। पर्यावरण मंत्रालय ने शर्त रखी है कि ठाणे स्टेशन के डिजाइन की समीक्षा की जाएगी जिससे प्रभावित क्षेत्र सीमित किया जा सके। उन्होंने कहा, "हम चाहते थे कि ठाणे स्टेशन की अवस्थिति बदले बिना कुछ ऐसा किया जाए कि मैंग्रोव क्षेत्र कम प्रभावित हो। हमने जापान के इंजीनियरों से इसी पर चर्चा की और उसी अनुसार बदलाव किए।"
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एनएचएसआरसीएल के प्रबंध निदेशक ने कहा कि यात्री परिसर पार्किं ग क्षेत्र की तरह है और पैसेंजर हैंडलिंग एरिया को अब मैंग्रोव क्षेत्र से बाहर बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा, "स्टेशन की अवस्थिति वही है लेकिन दोबारा डिजाइन करने के बाद मैंग्रोव क्षेत्र के पूर्व के 12 हेक्टेयर की तुलना में अब सिर्फ तीन हेक्टेयर भूमि प्रभावित होगी।"
उन्होंने कहा, "तो इस तरह, हमने 21,000 मैंग्रोव पेड़ों की कटाई बचा ली है और पूरी परियोजना से अब सिर्फ 32,044 मेंग्रोव प्रभावित होंगे।" इससे पहले लगभग 53,000 मैंग्रोव प्रभावित हो रहे थे। खरे ने यह भी कहा कि एनएचएसआरसीएल मैंग्रोव के प्रति पेड़ के लिए मैंग्रोव विभाग में 1: 5 के अनुपात में मुआवजा जमा करेगी। विभाग इसके बाद दोबारा वनीकरण करेगा।
खरे ने कहा कि तो 32,044 मैंग्रोव वन के पेड़ों को काटने के बाद लगभग 1,60,220 पौधरोपण किया जाएगा और इसका पूरा खर्च एनएचएसआरसीएल उठाएगा। खरे ने कहा कि मैंग्रोव के लिए नए पौधे मैंग्रोव विभाग द्वारा उगाए जाएंगे। राज्य विधान परिषद में सोमवार को शिवसेना की विधायक मनीषा कयांडे के प्रश्न का जवाब देते हुए महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री दिवाकर राउते ने सोमवार को कहा था कि मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कॉरिडोर के कारण लगभग 13.36 हेक्टेयर में लगे मैंग्रोव क्षेत्र के लगभग 54,000 पेड़ प्रभावित होंगे।