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Budget 2017 : आयकर स्‍लैब में हो सकती है बढ़ोतरी, नोटबंदी की कठिनाइयों के बाद सरकार आम जनता को देगी तोहफे

नोटबंदी के बाद चूंकि सरकार का टैक्‍स कलेक्‍शन बढ़ा है इसलिए हम उम्‍मीद कर सकते हैं कि बजट में आयकर की दरों में कटौती, टैक्‍स छूट की सीमा में बढ़ोतरी करेगी।

Manish Mishra
Updated : January 17, 2017 17:20 IST
Budget 2017 : आयकर स्‍लैब में हो सकती है बढ़ोतरी, नोटबंदी की कठिनाइयों के बाद सरकार आम जनता को देगी तोहफे
Budget 2017 : आयकर स्‍लैब में हो सकती है बढ़ोतरी, नोटबंदी की कठिनाइयों के बाद सरकार आम जनता को देगी तोहफे

डॉ बृंदा जागीरदार

स्‍वतंत्र अर्थशास्‍त्री (पूर्व प्रमुख अर्थशास्‍त्री, भारतीय स्‍टेट बैैंक)

विकास अब एक मुख्‍य थीम बन गया है और सरकार को निवेश को बढ़ाने, ग्रोथ में वृद्धि और रोजगार सृजन के लिए प्रत्‍यक्ष रूप से कुछ करने की जरूरत है। इसलिए, मेरे ख्‍याल से आम बजट 2017 त्रिआयामी नीति पर फोकस होगा ताकि ग्रोथ को रफ्तार दी जा सके। इसमें खपत बढ़ाने, निवेश में बढ़ोतरी करने और निर्यात को सहारा देने की कवायद की जा सकती है। इसके अलावा, नोटबंदी के बाद आम जनता ने जो कठिनाइयां सही हैं, सरकार को उन्‍हें भी पारितोषिक देने की जरूरत है।

पर्सनल टैक्‍सेशन

नोटबंदी के बाद चूंकि सरकार का टैक्‍स कलेक्‍शन बढ़ा है इसलिए हम उम्‍मीद कर सकते हैं कि आयकर की दरों में कटौती, टैक्‍स छूट की सीमा में बढ़ोतरी और कर-संग्रह की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाकर सरकार खपत को बढ़ावा देगी।

कृषि और आवास क्षेत्र को मिलेगा प्रोत्‍साहन

कृषि और लघु उद्योग सेक्‍टर के लिए भी बजट में ज्‍यादा आवंटन किया जा सकता है। अपने बढ़ते संसाधनों का इस्‍तेमाल सरकार इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर खर्च बढ़ाने में करेगी। हमें उम्‍मीद है कि सस्‍ते घरों के मामले में भी सरकार कुछ छूट देगी। शिक्षा और हेल्‍थकेयर सहित सामाजिक क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा हम उम्‍मीद कर सकते हैं कि रक्षा, ऊर्जा, खेल और पर्यावरण के क्षेत्र के लिए भी खर्च में बढ़ोतरी की जाएगी।

राजकोषीय गणित आश्‍वस्‍त करता है और राजकोषीय घाटे की गुणवत्‍ता भी एक ऐसी चीज है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक की निगाहें जानी हैं। चालू खाता घाटा स्थिर है और यह लगभग एक फीसदी के स्‍तर पर रहा है। हालिया महीनों में उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक आधारित महंगाई दर भी भारतीय रिजर्व बैंक के अपेक्षित स्‍तर पांच फीसदी के नीचे रही है। सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की दरें घटा कर राजनीतिक रूप से अलोकप्रिय लेकिन आर्थिक नजरिए से एक बेहतरीन कदम उठाया है। और बैंकों की बैलेंस शीट में भी गैर-निष्‍पादित परिसंपत्तियां कम हो रही है। इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक के पास ब्‍याज दरों में कटौती करने का अवसर मिल सकता है और ध्‍यान पूरी तरह से ग्रोथ पर हो सकता है।

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