अगर आपमें भी छोटा उद्योग खड़ा करने के सपने हैं तो आपके लिए बजट कई सौगातें लेकर आया है। वित्त मंत्री ने कल पेश हुए बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए आवंटन को दोगुना कर दिया है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में वित्तवर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए घोषणा की कि दिवालिया मामलों के समाधान के लिए विशेष रूपरेखा पेश की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मामलों के तेजी से समाधान को सुनिश्चित करने के लिए एनसीएलटी ढांचे को मजबूत किया जाएगा, ई-कोर्ट प्रणाली लागू की जाएगी और ऋण समाधान के वैकल्पिक तरीके पेश किए जाएंगे।
दोगुना हुआ बजट आवंटन
एमएसएमई के लिए अन्य घोषणाओं के बीच, मंत्री ने कहा कि बजट में सरकार ने इस क्षेत्र को 15,700 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं, जो पिछले बजट के आंवटन का दोगुने से अधिक है। उन्होंने कहा, "हाल ही में लोहे और इस्पात की कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी से एमएसएमई और अन्य उद्योग गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। इसलिए हम गैर-मिश्र धातु, मिश्र धातु और स्टेनलेस इस्पात के उत्पादों पर सीमा शुल्क को समान रूप से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर रहे हैं।"
घटी जरूरी चीजों की दरें
सीतारमण ने कहा, "धातुओं का कच्चे माल के लिए इस्तेमाल करने वालों, जिनमें से ज्यादातर एमएसएमई हैं, उनके लिए मैं इस्पात के कबाड़ (स्टील स्क्रैप) पर 31 मार्च 2022 तक सीमा शुल्क को खत्म कर रही हूं।" वित्तमंत्री ने कहा, "मैं कई स्टील उत्पादों पर एडीडी और सीवीडी को भी खत्म कर रही हूं। तांबे की रिसाइक्लिंग करने वालों के लिए भी मैं तांबे के कबाड़ पर सीमा शुल्क को पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर रही हूं।" वित्तमंत्री ने इस्पात के पेंच और कुछ प्लास्टिक के सामानों पर सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की घोषणा भी की।
अन्य रियायतें
वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि एमएसएमई सेक्टर पर महामारी के चलते काफी प्रभाव पड़ा है। ऐसे में सरकार ने इस सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की हैं। जैसे- छोटी कंपनियों के लिए पेडअप कैपिटल सीमा बढ़ाई जाएगी। आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल योजना पर जोर देने की बात कही गई है। जाहिर तौर पर इससे एमएसएमई को नई ताकत मिलेगी।