नई दिल्ली। कोविड-19 (COVID-19) महामारी ने जहां एक ओर पूरी दुनिया को लॉकडाउन की ओर धकेल दिया वहीं दूसरी ओर सरकारों व कंपनियों को काम करने के नए-नए तरीकों को अपनाने पर मजबूर किया। इसी कड़ी में अब देश में पहली बार ऐसा होगा जब हर साल पेश होने वाला आम बजट (Budget 2021) बिना छपे दस्तावेजों के पेश किया जाएगा। 1947 से निरंतर यह परंपरा रही है कि केंद्र सरकार हर साल संसद में पेश होने वाले बजट दस्तावेजों की कड़ी निगरानी और सुरक्षा में छपाई करवाती है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से बजट दस्तावेजों की छपाई नहीं होगी। इस बार बजट में कोरोना महामारी से मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए भी विशेष घोषणाओं की उम्मीद भी की जा रही है।
सीएनबीसी-टीवी 18 की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों को इसा साल बजट दस्तावेजों की छपाई न करने की अनुमति दे दी है। इस बार आम बजट 2021-22 की सॉफ्ट कॉपी सांसदों को उपलब्ध कराई जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को देखते हुए इस बार सरकार को प्रस्ताव दिया था कि प्रिंटिंग प्रेस में 100 लोगों को एक साथ दो हफ्तों तक रखना उचित नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 1947 को पेश किए गए देश के पहले आम बजट से लेकर 2020 तक हर साल बजट दस्तावेजों की छपाई वित्त मंत्रालय की प्रिंटिंग प्रेस में गोपनीय तरीके से होती रही है।
हर साल वित्त मंत्रालय बजट दस्तावेजों की छपाई की शुरुआत से पहले हलवा रस्म का आयोजन करता है, लेकिन इस बार शायद यह रस्म भी नहीं होगी। वित्त मंत्रालय में एक बड़ी कढ़ाई में यह हलवा बनाया जाता है और इसे सभी कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है। यह रस्म नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में आयोजित होती है। इसे बजट प्रस्तुत करने के 15 दिन पहले आयोजित किया जाता है।
बजट वाले दिन वित्त मंत्री एक लेदर के ब्रीफकेस में बजट दस्तावेजों को संसद में लेकर जाते हैं। 2019 और 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट दस्तावेजों को पारंपरिक बही खाता के रूप में लाल कपड़े में लपेटकर लेकर गई थीं। वित्त मंत्री सीतारमण आम बजट 2021-22 को एक फरवरी, 2021 को संसद में पेश करेंगी।
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क्रेडाई ने की बजट में कर छूट की मांग
रियल्टी कंपनियों के संगठन क्रेडाई ने घर की बिक्री बढ़ाने के लिये सरकार से आगामी बजट में कर छूट का दायरा बढ़ाने की मांग की है। इसके साथ ही संगठन ने सुझाव दिया कि आवास ऋण के भुगतान पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत मिलने वाली कर छूट की सीमा भी बढ़ायी जानी चाहिये। संगठन ने आवास ऋण की मूल राशि के भुगतान पर अलग से छूट का भी सुझाव दिया।
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के देश भर में लगभग 20 हजार सदस्य हैं। संगठन ने रियल एस्टेट निवेश न्यास (रीट) में निवेश को बढ़ावा देने के लिये कर प्रोत्साहन की भी सिफारिश की। क्रेडाई ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र दो साल से अधिक समय से दिक्कतों में है। कोरोना वायरस महामारी ने रियल एस्टेट की दिक्कतों को और बढ़ा दिया। अस्तित्व के संघर्ष के बाद अब यह क्षेत्र धीरे-धीरे उबरने की ओर बढ़ रहा है।
संगठन ने कहा कि तरलता सुनिश्चित करने के लिये कोषों तक पहुंच तथा पुनर्भुगतान की लंबी अवधि से डेवलपरों को मदद मिल सकती है। संगठन ने मांग को बढ़ावा देने के लिये सस्ते आवास ऋण तथा आवास क्षेत्र में निवेश पर कर छूट का भी प्रस्ताव दिया। उसने कहा, किफायती आवास, संयुक्त विकास को लेकर कराधान में सुधार तथा विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के कदम अभी के समय की जरूरत हैं।