नई दिल्ली। ब्रिक्स समूह के देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने कृषि व्यापार की सुरक्षा और स्थिरता के प्रति अपनी वचनबद्धता जताते हुए कहा कि डब्ल्यूटीओ मंत्रिस्तरीय बैठक के फैसले के अनुसार कृषि निर्यात पर सब्सिडी खत्म की जानी चाहिए। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) ने इस बारे में प्रस्ताव नैरोबी बैठक में पारित किया था।
भारत सहित ब्रिक्स समूह में शामिल पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के कृषि मंत्रियों ने अपनी बैठक में इस बात पर भी जोर दिया कि व्यापार में पैकिंग आदि की स्वच्छता के मानकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा में वैज्ञानिक सिद्धांतों को पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए। ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की इस छठी बैठक के बाद जारी एक घोषणापत्र में कहा गया है,
हम विश्व व्यापार के संवर्धन में बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्व को स्वीकार करते हैं। इसी संदर्भ में हम दिसंबर 2015 में नैरोबी में हुई डब्ल्यूटीओ की 10वीं मंत्रिस्तरीय बैठक के नतीजों का स्वागत करते हैं जिनमें कृषि निर्यात सब्सिडी को समाप्त करने से जुड़ा संकल्प शामिल है।
- कृषि मंत्रियों ने कहा कि ब्रिक्स समूह जल्दी खराब होने वाली कृषि उपजों के मामले में व्यापार सुविधा समझौता (टीएफए) के अनुमोदन को महत्वपूर्ण मानता है।
- टीएफए पर सहमति दिसंबर 2013 में बाली (इंडोनेशिया) में हुई बैठक में बनी थी।
- ब्रिक्स देशों ने अपने यहां दलहनों की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
- वे जनता के बीच इस बारे में जागरूकता बढ़ाएंगे कि पौष्टिक भोजन में दालों का कितना महत्व है।
- जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर ऐसी कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाने को बढ़ावा देंगे, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील हों।
- इन देशों ने कृषि को जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढालने के मामले में सूचनाओं और अनुभवों के आदान-प्रदान बढ़ाने का भी फैसला किया है।