नई दिल्ली। यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी बीपी पीएलसी को दो साल के संघर्ष के बाद भारत में एयरलाइंस कंपनियों को रिटेल एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) बेचने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने बीपी को भारतीय जेट ईंधन आपूर्ति क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। लेकिन बीपी को भारत में वास्तविक रूप से जेट ईंधन की बिक्री शुरू करने से पहले पर्यावरण एवं सुरक्षा और हवाईअड्डा संबंधी मंजूरी लेनी होगी।
कंपनी के प्रवक्ता ने इस मौके पर कहा कि बीपी को भारत में जेट ईंधन के विपण की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। हमें भारत में विमानन सेवा कारोबार का अच्छा भविष्य दिख रहा है और इस बाजार में भागीदारी, इसके भावी विकास और सफलता में योगदान के प्रति हम उत्साहित हैं। बीपी की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी, बीपी एक्प्लोरेशन (अल्फा) ने जेट ईंधन की बिक्री के संबंध में 11 जून 2014 को आवेदन किया था। कंपनी ने दावा किया है कि उसने देश में 47.7 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने शुरू में बीपी का आवेदन खारिज कर दिया था। मंत्रालय का कहना था कि उसका निवेश ऐसा नहीं है कि उसके आधार पर खुदरा कारोबार का लाइसेंस दिया जा सके। हालांकि, मंत्रालय ने कंपनी के लिए दरवाजा खुला रखा था और कहा था कि वह निवेश की शर्त पूरी कर लाइसेंस ले सकती है।
तेल कीमतों में गिरावट के कारण 4,000 कर्मचारियों की होगी छंटनी
तेल कीमतों में भारी गिरावट के बीच पेट्रोलियम कंपनी बीपी अगले दो साल में उत्खनन एवं उत्पादन के काम से 4,000 कर्मचारियों को हटाएगी। इसमें से 600 नौकरियां उत्तर सागर क्षेत्र की हैं। लागत में कटौती की घोषणा ऐसे समय की गयी है जब तेल कीमत 12 साल के न्यूनतम स्तर 31 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं। चीन में मांग घटने की चिंता में तेल के दाम नीचे आए हैं। चीन में आर्थिक समस्याओं का असर दुनिया भर में जिंसों के भाव पर देखा जा रहा है। बीपी नॉर्थ सी के क्षेत्रीय अध्यक्ष मार्क थॉमस ने एक बयान में कहा कि बाजार में कड़ी स्थिति को देखते हुए हमें अपने कारोबार को प्रतिस्पर्धी और मजबूत बनाए रखने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है।