नयी दिल्ली। नकदी संकट से जूझ रहे राज्यों को बाजार से कर्ज लेने के लिए ऊंची दर की पेशकश करनी पड़ रही है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रणाली में पर्याप्त नकदी के बीच ब्याज दरें अनुकूल हैं, ऐसे में राज्यों को करीब सात प्रतिशत की दर पर कर्ज लेने की पेशकश करनी पड़ रही है। छह राज्य सोमवार को राज्य सरकार की प्रतिभूतियों की नीलामी के जरिये 8,700 करोड़ रुपये जुटाने के लिए उतरे। इन राज्यों को भारित औसत स्तर पर 6.96 प्रतिशत की दर की पेशकश की। यह पिछली साप्ताहिक नीलामियों की तुलना में 0.03 प्रतिशत कम है।
ऊंची लागत की वजह से हरियाणा ने पूरी 1,000 करोड़ रुपये की नीलामी की बोली को खारिज कर दिया। वहीं अन्य राज्यों ने अधिसूचित राशि को स्वीकार किया। केयर रेटिंग्स ने कहा कि विभिन्न राज्यों के लिए कर्ज की भारित औसत लागत और अवधि 6.96 प्रतिशत थी, जो पिछले सप्ताह आयोजित नीलामियों की तुलना में मात्र 0.03 प्रतिशत कम है। यह कमी वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी की वजह से आई है।
प्रमुख तेल उत्पादक देशों के बीच कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने को लेकर सहमति बनी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों के लिए बाजार कर्ज की लागत जून के तीसरे सप्ताह से 6.9 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई है। जून मध्य से यह 0.21 प्रतिशत तथा आठ अप्रैल से 0.40 प्रतिशत बढ़ी है।
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