हैदराबाद| बोइंग और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) ने बोइंग एएच-64 अपाचे हेलीकॉप्टर के ढांचे व अंतरिक्ष संबंधित अन्य ढाचों के उत्पादन के लिए एक संयंत्र स्थापित करने के लिए हाथ मिलाया है। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को आदिबाटला शहर के बाहरी हिस्से में स्थित अंतरिक्ष विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में टाटा बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड (टीबीएएल) की आधारशीला रखी।
इस संयंत्र में अंतरिक्ष में एकीकृत प्रणाली पर भी काम होगा। हैदराबाद का यह संयंत्र एएच-64 का ढांचा तैयार करनेवाला दुनिया का अकेला संयंत्र होगा। एएच-64 दुनिया का सबसे उन्नत बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है और अमेरिकी सेनाओं सहित कई अन्य देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल करती हैं, जिसमें भारत भी शामिल है।
पर्रिकर ने इस संयुक्त उद्यम को रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा विदेशी निवेश करार दिया है और कहा है कि यह सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा देनेवाला है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में इस प्रकार के निवेश को और बढ़ावा मिलेगा। बोइंग और टीएएसएल के बीच पिछले साथ अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र के निर्माण को लेकर साझेदारी स्थापित करने पर सहमति बनी थी, जिसमें मानव रहित विमानों का निर्माण भी शामिल है।
टीएएसएल टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है और इसे बोइंग के सीएच-47 चिनूक और एएच-6आई हेलीकॉप्टर के ढांचे के निर्माण का ठेका मिला है। टीएएसएल ने इसके अलावा और कई बड़ी कंपनियों से हाथ मिलाया है, जिसमें रूआग, पिलाटस, लाकहीड मार्टिन, सिकोरस्काई और एयरबस शामिल हैं। बोइंग दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी है और वाणिज्यिक जेट विमानों और रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा प्रणालियों का निर्माण करती है।
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