नई दिल्ली। पीएम मोदी ने ब्लैक मनी पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद करने का फैसला किया है। इसको कारगर साबित करने के लिए सरकार ने बैंकों और एटीएम से पैसे निकालने तक की लिमिट लगा रखी है। इसके बावजूद लोग ब्लैक मनी को लोग व्हाइट करने की कोशिश कर रहे हैं। आज हम आपको ऐसे ही पांच तरीके बता रहे हैं जिसकी मदद से ब्लैक मनी रखने वाले सरकार को धोखा दे रहा हैं और अपना पैसा व्हाइट करने में जुटे हैं।
1. एडवांस सैलरी दे रही हैं कंपनियां
कुछ कंपनियां जिसके पास बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी है वह अपने कर्मचारियों को एडवांस सैलरी दे रही है। कंपनियां कर्मचारियों को 2.5 लाख रुपए से कम दे रही हैं जिसको बिना इनकम प्रूफ के जमा कराया जा सकता है। इस तरीके से करोड़ों रुपए की ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा रहा है।
2. सक्रिय हुए नोट माफिया
एक नया माफिया में उभरा है, जिसको ‘नोट माफिया’ के रूप में बुलाया जा रहा है। वह वे पुराने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को स्वीकार कर रहे हैं। इसके लिए 20-30 फीसदी तक कमीशन वसूल रहे हैं। पुराने नोट को लेकर 100 के नोट में बदल रहे हैं। सरकार ने एक आईडी पर 4500 रुपए बदलने की मंजूरी दे रखी है। ऐसे माफिया गरीब लोगों की आईडी का इस्तेमाल कर ब्लैक मनी को व्हाइट करने में लगे हैं।
3. पॉलिटिकल पार्टी को डोनेशन्स
डोनेशन्स करने वाला बिना पहचान बताए 20,000 रुपए तक पॉलिटिकल पार्टी को डोनेट कर सकता है। लोग इस खामी का फायदा उठाकर अपने ब्लैक मनी को व्हाइट कर रहे हैं। पॉलिटिकल पार्टियां आसानी से दावा कर सकती हैं कि पुराने नोट उनके कार्यकर्ताओं ने 8 नवंबर से पहले अनुदान दिया है। उन पैसों को आसानी से किसी भी बैंक में जमा कराया जा सकता है।
तस्वीरों में देखिए नए नोट
Rs 500 and 1000
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4. जन धन खातों का इस्तेमाल
लाखों जन धन खाते का बैलेंस अचानक 49,000 रुपए हो गया। दरअसल नोटबंदी बंदी के बाद ब्लैक मनी वालों ने जन धन खाता धारकों से समपर्क किया और उनके जीरो बैलेंस अकाउंट 49,000 रुपए डलवा दिए। गौरतलब है कि 50,000 रुपए से कम पैसा जमा करने पर पैन कार्ड जरूरी नहीं है। इस सूचना के बाद सरकार ने जन धन खातों में पैसे जमा करने की अधिकतम सीमा 50,000 रुपए कर दी है।
5. धार्मिक संस्थाओं को दान
धार्मिक संस्थाओं को दिए गए सभी दान कानूनी रूप से टैक्स से बाहर है। इसी खामी का फायदा उठाकर ब्लैक मनी रखने वाले व्हाइट कर रहे हैं। धार्मिक स्थलों पर दान देने के लिए अपनी पहचान बताना जरूरी नहीं है। ऐसे में लोग धार्मिक संस्थाओं के ऐडमिनिस्ट्रेटर से मिल कर ब्लैक को व्हाइट करने में लगे हैं। अभी तक स्पष्ट नहीं है कि सरकार इस मुद्दे से निपटने के लिए क्या कर रही है।