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Black Money: 600 लोगों ने किया था काले धन का खुलासा, सरकार ने वसूला 2,428 करोड़ रुपए का टैक्‍स

644 लोगों ने कुछ टैक्‍स देकर विदेशों में छुपाई गई संपत्ति का खुलासा वन टाइम कम्‍पलाइंस विंडो के तहत किया है, जिससे सरकार को काला धन प्राप्‍त हुआ है।

Abhishek Shrivastava
Updated : January 06, 2016 20:32 IST
Black Money: 600 लोगों ने किया था काले धन का खुलासा, सरकार ने वसूला 2,428 करोड़ रुपए का टैक्‍स
Black Money: 600 लोगों ने किया था काले धन का खुलासा, सरकार ने वसूला 2,428 करोड़ रुपए का टैक्‍स

नई दिल्‍ली। सरकार ने 600 लोगों से 2,428.4 करोड़ रुपए का टैक्‍स वसूला है। इस प्रकार सरकार के पास 2428 करोड़ रुपए का काला धन आया है। इन 600 लोगों ने इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट को वन टाइम ब्‍लैक मनी कम्‍पलाइंस विंडो के तहत विदेशों में जमा धन के बारे में खुलासा किया था। यह विंडो 31 दिसंबर को बंद हो चुकी है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्‍ट टैक्‍स ने एक बयान में कहा है कि यह रकम टैक्स और जुर्माने के तौर पर एकत्रित हुई है। 30 सितंबर 2015 तक कम्‍पलाइंस विंडो के तहत कुल 644 लोगों ने विदेशों में जमा कालेधन का खुलासा किया था। इन सभी लोगों द्वारा दी गई जानकारी में 4164 करोड़ रुपए की राशि शामिल थी। अधिकारियों ने बताया कि इस राशि के बढ़ने की भी संभावना है क्‍योंकि बहुत से लोगों ने 31 दिसंबर के बाद भी इनकम टैक्‍स विभाग को जानकारी दी है। अभी इसकी जांच की जा रही है। वन टाइम कम्‍पलाइंस विंडो के तहत काले धन की जानकारी देने वालों पर 30 फीसदी की दर से टैक्‍स और 30 फीसदी की दर से जुर्माना लगाया गया है।

रिजर्व बैंक आर्थिक खुफिया एजेंसी के साथ साझा करेगा जांच रिपोर्ट

दबाव के आगे झुकते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों की जांच संबंधी रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को एक केंद्रीय आर्थिक खुफिया इकाई के साथ साझा करने पर सहमति जता दी है। एजेंसी को इससे मनी लॉन्ड्रिंग और दूसरे बैंकिंग कानूनों के उल्लंघन की जांच करने में मदद मिलेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली शीर्ष खुफिया एजेंसी, केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) के साथ आपसी सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेगा।

रिजर्व बैंक ने इससे पहले कई बार अपनी जांच रिपोर्ट को ब्यूरो के साथ साझा करने से इनकार किया। रिजर्व बैंक ने ऐसा करने में कानूनी अड़चनों का जिक्र किया। हालांकि इस मुद्दे को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली आर्थिक खुफिया परिषद (ईआईसी) की बैठक में कई बार उठाया गया। मामले को लॉ मिनिस्ट्री को भेजा गया, जिसने कहा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 और दूसरे बैंकिंग कानून रिजर्व बैंक को उसकी जांच रिपोर्ट को प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा करने से नहीं रोकते हैं।

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