नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है। BJP ने राज्य में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। इस शानदार प्रदर्शन के बाद BJP अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि सीएम के नाम का रविवार को ऐलान संसदीय दल की बैठक में तय होगा। और हमने जो कहा है उस हिसाब से राज्य सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों का कर्ज माफ करने का प्रस्ताव लाएंगे।
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मोदी ने चुनाव रैली में किसानों के कर्ज माफी की बात कहीं थी
- किसानों के कर्ज को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कर्ज माफी की बात कहीं थी।
- नरेंद्र मोदी ने कहा था कि होली के बाद नई सरकार बनेगी और सकरार बनने के बाद उसकी पहली मीटिंग होगी और उसमें मैं यूपी के सांसद के नाते आप लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि किसानों के कर्ज को माफ करने का निर्णय ले लिया जाएगा
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अमित शाह ने कहा
यह पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत है और करोंड़ों कार्यकर्ताओं की मेहनत की जीत है। केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए जो भी योजनाएं बनाई चाहे वो नोटबंदी हो या जन धन अकाउंट हो सभी पर मुहर लगाई है। यूपी और उत्तराखंड की जीत बाताती है कि जनता ने जातिवाद और परिवारवाद को नकारा है। यह जीत राजनीति को बदलेगी।
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दो साल में कर्जदार किसानों की दुर्दशा में नहीं हुआ सुधार
- नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने एक्सीडेंटल डेथ्स् एंड स्यूसाइड इन इंडिया नाम की अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की थी।
- कर्जदारी के कारण एनडीए के शासन के बीते दो साल में कर्जदार किसानों की दुर्दशा में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है।
- 2014 में कुल 5650 किसानों के आत्महत्या कले प्रकाश में आये जबकि 2015 में आत्महत्या करने को मजबूर किसानों की संख्या बढ़कर 8007 हो गई है।
- दो साल के भीतर आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या में तकरीबन 41 फीसदी का इजाफा हुआ है और किसान आत्महत्या के ज्यादातर मामलों में बड़ी वजह साबित हुआ है, कर्ज का बढ़ता बोझ।
- एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में कुल 3097 किसानों ने कर्जदारी के बोझ से टूटकर आत्महत्या का रास्ता चुना।
- दूसरे शब्दों में कहें तो 2015 में कुल किसान-आत्महत्याओं के तकरीबन 38 फीसद मामलों में कर्जदारी ने किसान के गले में फांसी का फंदा डाला।
बीस साल में किसानों पर कर्ज का बोझ 4 गुना बढ़ा
- नेशनल सैंपल सर्वे की सबसे नई रिपोर्ट 2014 के दिसंबर महीने में आई थी इस रिपोर्ट में कहा गया कि देश के 9 करोड़ किसान-परिवारों में 52 फीसदी परिवार कर्जदार हैं।
- 2003 की रिपोर्ट में कर्जदार किसान परिवारों की संख्या 48.6 फीसदी थी और 1991 में आई रिपोर्ट में कर्जभार में डूबे किसान परिवारों की संख्या 26 फीसदी बतायी गई थी।
- दूसरे शब्दों में दो दशक के भीतर देश में कर्जदार किसानों परिवारों की संख्या दो गुनी बढ़ी है।
- साथ ही, बीस साल के भीतर किसानों पर चढ़ा औसत कर्जभार चार गुना बढ़कर 12,585 रुपए से 47000 रुपए हो गया है