कोलकाता। बिनानी सीमेंट की दिवाला प्रक्रिया उलझती नजर आ रही है। बिनानी सीमेंट की प्रवर्तक कंपनी बिनानी इंडस्ट्रीज ने ऋण में फंसी अपनी इस अनुषंगी इकाई की संपत्तियों को ऋणदाताओं के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के बाहर मामला सुलझाने की अर्जी स्वीकार कर ली है। इस पर 13 अप्रैल को सुनवाई होगी। कंपनी ने ऋणदाताओं के समक्ष इसके लिए 7,618 करोड़ रुपए की पेशकश की है। कंपनी के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पेशकश के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने हेतु वह 10 प्रतिशत अग्रिम राशि भी जमा करने को तैयार है।
बिनानी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा था कि हम निश्चित तौर पर उच्चतम न्यायालय जाने वाले हैं। हमें इसके लिए ऋणदाताओं से भी सहयोग का आश्वासन मिला है। बिनानी सीमेंट्स की संपत्तियों को ऋणदाताओं के नियंत्रण से मुक्त करने से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में इसके खिलाफ चल रही दिवाला एवं ऋण शोधन प्रक्रिया स्वत: रुक जाएगी।
ऋणदाताओं की समिति ने 7,618 करोड़ रुपए की इस पेशकश को समर्थन किया है लेकिन उन्होंने शनिवार और रविवार को कई दौर में चली बैठक के बाद कानूनी व्याख्याओं में अस्पष्टता के कारण इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया।
बिनानी को इस मामले में आदित्य बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक सीमेंट का समर्थन प्राप्त है और इस मामले में उसे पहले ही वित्तीय समर्थन का आश्वासन पत्र मिल चुका है। बिनानी ने दिवाला प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अब तक ब्याज भुगतान पर भी सहमति जताई है। उल्लेखनीय है कि अल्ट्राटेक सीमेंट और बिनानी इंडस्ट्रीज के बीच बिनानी सीमेंट में 98.43 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए समझौता हुआ है।
दूसरी तरफ, भारत डालमिया समूह की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई राजपुताना प्रॉपर्टीज बिनानी सीमेंट की दिवाला प्रक्रिया में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बनकर उभरी है। कुल मिलाकर बिनानी सीमेंट के अधिग्रहण का मामला दो पक्षों की खींचतान में फंस गया है और अब यह उच्चतम न्यायालय तक पहुंचने वाला है।