नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त ने कहा है कि आगे चलकर भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी यानि फिनटेक कंपनियों के लिए काफी अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने मौजूदा केवाईसी प्रक्रिया का नए सिरे से आकलन करने पर जोर दिया, जिससे इसे अधिक लागत दक्ष बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि 18 साल से बडे भारतियों में से 80 प्रतिशत के पास बैंक खाते हैं जो दुनिया भर के औसत से अधिक है।
अमिताभ कान्त ने शुक्रवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ‘फिनटेक और डिजिटाइजेशन’ पर वर्चुअल संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय फिनटेक बाजार परिपक्व हो रहा है और देश को फिनटेक केंद्र बनाने की जरूरत है। अमिताभ कान्त ने कहा कि भारतीय फिनटेक बाजार के परिपक्व होने से मौजूदा और नई फिनटेक कंपनियों के लिए काफी अवसर उपलब्ध होंगे। मौजूदा केवाईसी व्यवस्था का नए सिरे से आकलन करने की जरूरत है। इसे लागत दक्ष और सुगम बनाने की जरूरत है। बोर्डिंग पर वीडियो और कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल आगे देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने डिजिटलीकरण से होने वाले बदलावों के लिए खुद को तैयार कर लिया है। वहीं पश्चिम देश अभी तय ही कर रहे हैं कि कोविड-19 से प्रभावित लोगों और कंपनियों को किस तरीके से धन से वितरण किया जाए। नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि भारत को कम लागत और उच्च मात्रा वाले उत्पादों तथा प्रवाह आधारित ऋण की जरूरत है जिससे वित्तीय एकीकरण हो सके। उन्होंने कहा कि हमें शेष दुनिया के लिए ‘रोल मॉडल’ बनने को बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से हम चुनौतीपूर्ण दौर में हैं। देश में आमने-सामने आए बिना लेनदेन में तेजी से बढ़ोतरी होगी।