नई दिल्ली। भारत में सोने की मांग जनवरी-मार्च 2021 तिमाही के दौरान इससे पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 37 प्रतिशत बढ़कर 140 टन पर पहुंच गई। इस दौरान कोविड-19 से जुड़ी कड़ाई में राहत मिलने, सोने के दाम नरम पड़ने और दबी मांग निकलने से इस दौरान मांग में तेजी रही। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने यह बात गुरुवार को कही है। डब्ल्यूजीसी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कुल मिलाकर सोने की मांग 102 टन रही थी।
मूल्य के लिहाज से सोने की मांग पहली तिमाही में 57 प्रतिशत बढ़कर 58,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। जो कि एक साल पहले इसी तिमाही में 37,580 करोड़ रुपये रही थी। जनवरी-मार्च 2021 के दौरान स्वर्णाभूषणों की कुल मांग 39 प्रतिशत बढ़कर 102.5 टन पर पहुंच गई। एक साल पहले यह 73.9 टन रही थी। मूल्य की यदि बात की जाए तो आभूषणों की मांग 58 प्रतिशत बढ़कर 43,100 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो कि इससे पिछले साल 27,230 करोड़ रुपये पर थी। इस दौरान सोने में निवेश मांग 34 प्रतिशत बढ़कर 37.5 टन हो गई, जो कि इससे पिछले साल 28.1 टन थी। वहीं मूल्य के लिहाज से यदि बात की जाए तो एक साल पहले के मुकाबले यह 53 प्रतिशत बढ़कर 15,780 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो कि पिछले साल 10,350 करोड़ रुपये रही थी।
सोने की वैश्विक मांग 23 प्रतिशत घटी
जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में सोने की वैश्विक मांग 23 प्रतिशत घटकर 815.7 टन रही। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ में से निकासी और केंद्रीय बैंकों की कम खरीदारी से मांग पर असर पड़ा है। जनवरी-मार्च 2020 में सोने की कुल मांग 1059.9 टन रही थी।
जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में निवेश मांग में 71 प्रतिशत की गिरावट आई और इस दौरान 161.6 टन सोने की मांग रही, वहीं इसके विपरीत 2020 की समान तिमाही में ये मांग 549.6 टन रही थी। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान गोल्ड ईटीएफ से भारी निकासी देखी गई।
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