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Everything is Artificial: दिग्गजों को नहीं इंडिया के ई-कॉमर्स मॉडल पर भरोसा, जल्द बबल फटने के दिए संकेत

ई-कॉमर्स का बाजार बढ़ता जा रहा है और इसी के दम पर कंपनियों की वैल्युएशन अरबों डॉलर पहुंच गई है। देश के बड़े इन्वेस्टर और रिटेल चेन चलाने वाले इस पर भरोसा नहीं कर रहे।

Abhishek Shrivastava
Updated : February 13, 2016 13:31 IST
Everything is Artificial: दिग्गजों को नहीं इंडिया के ई-कॉमर्स मॉडल पर भरोसा, जल्द बबल फटने के दिए संकेत
Everything is Artificial: दिग्गजों को नहीं इंडिया के ई-कॉमर्स मॉडल पर भरोसा, जल्द बबल फटने के दिए संकेत

नई दिल्ली। देश में लगातार ई-कॉमर्स का बाजार बढ़ता जा रहा है और इसी के दम पर कंपनियों की वैल्युएशन अरबों डॉलर पहुंच गई है। वैल्युएशन के बल पर इन कंपनियों के फाउंडर्स फोर्ब्स की ओर से जारी अमीरों की लिस्ट में भी शामिल हो गए। चारों तरफ ई-कॉमर्स स्टार्टअप सुर्खियों में है, लेकिन देश के बड़े इन्वेस्टर और रिटेल चेन चलाने वाले इस पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। उनके मुताबिक ई-कॉमर्स का  मौजूदा मॉडल बबल है, जो कभी भी फट सकता है और अगले छह महीने के अंदर तमाम कंपनियां बंद हो सकती हैं। उनकी बातें कुछ हद तक इसलिए भी सही लग रही है, क्योंकि भारी डिस्काउंट देकर कंपनियां अपनी सेल और वैल्यूएशन तो बढ़ा रही हैं लेकिन उनका घाटा लगातार बढ़ रहा है। आंकड़ों पर नजर डाले तो मार्च 2015 में खत्म हुए वित्त वर्ष के दौरान देश की टॉप ई-कॉमर्स स्टार्टअप को 7884 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।

ई-कॉमर्स कंपनियों का बढ़ता नुकसान

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नुकसान में कितने दिन चलेगी कंपनी और कौन करेगा फंडिंग

देश के दिग्गज इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला ने कहा कि मैं ई-कॉमर्स मॉडल पर तब विश्वास करूंगा जब ई-रिटेलर्स बिना भारी डिस्काउंट के बाजिव दामों पर सामान बेचे। उन्होंने कहा, आप एक पूंजीवादी समाज में हैं। क्या कोई नुकसान में कंपनी को चालू रख सकता है और कितने हद तक इसकी भरपाई फंडिंग से हो सकती है? झुनझुनवाला के मुताबिक इन्वेस्टर जल्द ही पैसा लगाना कम कर सकते हैं। उन्होंने मजाक में कहा कि अगर फ्लिपकार्ट की वैल्यूएशन 10 करोड़ डॉलर रह जाएगी तब मैं निवेश करूंगा, लेकिन बिजनेस मॉडल सस्टेनेबल होना चाहिए। फिलहाल फ्लिपकार्ट की वैल्यूएशन लगभग 15 अरब डॉलर है।

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अगले छह महीने में बंद हो सकती हैं कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां

देश की सबसे बड़ी रिटेल चेन कंपनी फ्यूचर ग्रुप के फाउंडर और सीईओ किशोर बियानी ने कहा कि अगले छह महीने में कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां बंद हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि ई-रिटेलर्स का बिजनेस मॉडल खराब है, जिसकी वजह से लागत ज्यादा आती है। बियानी ने कहा कि फ्यूचर ग्रुप की बिजनेस पर लागत 12-14 फीसदी है, जबकि किराना वालों की लागत 4-5 फीसदी आती है। दूसरी ओर ई-कॉमर्स कंपनियों की लागत 53 फीसदी है। ई-कॉमर्स कंपनियों की डिलिवरी और डिस्काउंट पर लागत काफी ज्यादा है।

2015 में ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स को 7884 करोड़ का नुकसान

वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान देश की टॉप 22 ई-कॉमर्स स्टार्टअप का नुकसान 293 फीसदी बढ़कर 7884 करोड़ रुपए पहुंच गया है, जबकि उनकी कुल रेवेन्यु 16,199 करोड़ रुपए रही। यह नुकसान ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दिए गए विज्ञापन की वजह से हुआ है। 2015 के दौरान इन कंपनियों का रेवेन्यु 191 फीसदी बढ़ा है। वहीं, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और अमेजन के रेवेन्यु में 475 फीसदी का इजाफा हुआ है। सिर्फ ये तीन कंपनियां है जिनका मार्जिन लॉस 197.7 फीसदी से घटकर 158.4 फीसदी आ गया है।

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