नई दिल्ली। भारती ग्रुप की सब्सिडियरी वनवेब ने सोमवार को कहा कि उसने 2022 से भारत में अपना उपग्रह प्रक्षेपित करने के लिए इसरो की कमर्शियल इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के साथ समझौता किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि एनएसआईएल के साथ आशय पत्र के माध्यम से, भारत में निर्मित पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) और जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) मार्क 3 को भारतीय जमीन से वनवेब के उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए संभावित मंच के तौर पर इस्तेमाल करने की व्यवस्था की गयी है।
इसमें कहा गया है, "भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इंडियन स्पेस एसोसिएशन(आईएसपीए) के शुभारंभ पर गैर-बाध्यकारी आशय पत्र का अनावरण किया गया।" वनवेब आईएसपीए के संस्थापक सदस्यों में से है। आईएसपीएस भारत में अंतरिक्ष और उपग्रह कंपनियों की सामूहिक आवाज बनने की कोशिश करेगा और भारत के अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए हितधारकों के साथ काम करेगा। कंपनी 648 पृश्वी से 500-2,000 किमी दूर की कक्षाओं में स्थापित होने वाले उपग्रहों के अपने प्रारंभिक समूह का निर्माण कर रही है और पहले ही 322 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर चुकी है। वनवेब इस साल अलास्का (अमेरिका), कनाडा और ब्रिटेन सहित आर्कटिक क्षेत्र में और भारत में 2022 की दूसरी छमाही में सेवाएं शुरू करने की योजना बना रही है।
इस मौके पर भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा कि भारती ग्रुप की सब्सिडियरी वनवेब इसरो की सुविधाओं के माध्यम से भारतीय जमीन से उपग्रह प्रक्षेपण करने वाली पहली निजी कंपनी होगी। अंतरिक्ष और उपग्रह कंपनियों के संगठन इंडियन स्पेस एसोसिएशन शुरू करने के मौके पर मित्तल ने कहा कि कंपनी की 2022 के मध्य से वनवेब उपग्रह के माध्यम से देश में कनेक्टिविटी प्रदान करने की शुरुआत करने की योजना है। उन्होंने कहा, "वनवेब भारतीय अंतरिक्ष बाजार में वाणिज्यिक स्थिति का निर्माण करने वाला पहला ग्राहक होगा।" मित्तल ने कहा कि वनवेब भारतीय जमीन से उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो के जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क 3 रॉकेट का इस्तेमाल करेगी। मित्तल ने कहा कि कई बड़े देशों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है और सरकार की मदद के बिना यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा, "हमारी इस नयी पहल के साथ, मुझे यकीन है कि अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक एशिया में इसरो का रुख करेंगे। एक शानदार भविष्य हमारी ओर देख रहा है। प्रधानमंत्री हमें रास्ता दिखा रहे हैं। यह उद्योग के लिए उस पर काम करने का सही समय है।"
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