नई दिल्ली। टेलीकॉम दिग्गज भारती एयरटेल को जियो से प्रतिस्पर्धा करना कितना भारी पड़ रहा है, इस बात का अंदाजा कंपनी के मार्च तिमाही के वित्तीय परिणामों से साफ पता चलता है। 31 मार्च 2018 को समाप्त वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में कंपनी का समेकित शुद्ध लाभ 77.79 प्रतिशत घटकर 82.90 करोड़ रुपए रह गया है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में एयरटेल को 373.40 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में भी कंपनी ने 305.80 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था।
आलोच्य तिमाही में कंपनी का समेकित राजस्व भी 10.48 प्रतिशत घटकर वार्षिक आधार पर 19,634.30 करोड़ रुपए रह गया। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी का समेकित राजस्व 21,934.60 करोड़ रुपए था। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में कंपनी का शुद्ध नुकसान 760.20 करोड़ रुपए रहा है, जो कि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में 14,176.20 करोड़ रुपए था। वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में एयरटेल ने 64.30 करोड़ रुपए का एकल शुद्ध लाभ अर्जित किया था।
समीक्षाधीन अवधि में वॉयस और डाटा के लिए संयुक्तरूप से एआरपीयू (एवरेज रेवेन्यू पर यूजर)- एक प्रमुख परिचालन संकेतक- 26.60 प्रतिशत घटकर सालाना आधार पर 116 रुपए रह गया है। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी का एआरपीयू 158 रुपए था। तिमाही आधार पर एआरपीयू में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारती एयरटैल के एमडी और सीईओ, भारत एवं साउथ एशिया, गोपाल विट्टल ने कहा कि टेलीकॉम इंडस्ट्री लगातार दबाव में बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल टर्मिनेशन रेट में कटौती होने की वजह से इस तिमाही में बुरा असर पड़ा है। एयरटेल ने अपनी लीडरशिप पोजीशन को इस तिमाही में भी निरंतर बनाए रखा है। कंपनी पर समेकित कर्ज भी इस तिमाही में 3,514.5 करोड़ रुपए बढ़कर 95,228.5 करोड़ रुपए हो गया, तीसरी तिमाही में कर्ज का यह आंकड़ा 91,713.9 करोड़ रुपए था।