नई दिल्ली। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना को रेटिंग एजेंसी इक्रा ने निवेशकों के लिए एक शानदार अवसर बताया है। हालांकि, उसका मानना है कि उसकी सफलता समय पर भूमि-अधिग्रहण और पर्याप्त फाइनेंस पर निर्भर करेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अक्टूबर 2017 में भारतमाला परियोजना चरण-एक को मंजूरी दे दी। इसमें 83,000 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है जिसमें 24,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का 2021-22 तक विकास किया जाना है।
इक्रा ने एक बयान में कहा है कि यदि भारतमाला परियोजना को योजना के मुताबिक लागू किया जाता है तो इसमें पूरे परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। नई रणनीति पुरातन व्यवस्था की तरह नहीं हो सकती है जिसमें अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग सड़क खंडों का विकास किया जाता है। इससे पूरे सड़क गलियारे में असंगत ढांचे का निर्माण होता है।
इक्रा के कॉरपोरेट रेटिंग के श्रेणी प्रमुख और उपाध्यक्ष शुभम जैन ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम (NHDP) देश में अब तक की सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है। इसमें 17 साल में 26,255 किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ है।
उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 61,977 किलोमीटर सड़क के ठेके दिए और 43,307 किलोमीटर सड़क पर काम हुआ। इस प्रकार पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए 83,000 किलोमीटर सड़क निर्माण को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य बहुत महत्वाकांक्षी दिखता है।
एजेंसी के अनुसार सड़क विकास में भू-अधिग्रहण सबसे बड़ी बाधा दिखती है। करीब 80% सड़क परियोजनाओं में देरी की वजह समय पर भूमि उपलब्ध नहीं होना है और इसकी जिम्मेदारी ठेका देने वाले प्राधिकरण/मंत्रालय की होती है।
इसके अलावा भारतमाला के सामने एक और बड़ी चुनौती भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता एवं उचित मुआवजा, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना अधिकार अधिनियम-2013 को लागू करना है। यह ग्रामीण इलाकों में मुआवजे की रकम को उस भूमि के बाजार मूल्य का चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दुगुना तक बढ़ा देता है। इससे भूमि अधिग्रहण की लागत बढ़ जाती है।