देश भर में पेट्रोल डीजल की महंगाई और वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी के प्रावधानों का विरोध कर रहे कारोबारियों ने शुक्रवार को ‘भारत बंद’ (Bharat Bandh) का आयोजन किया है। यह बंद खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने आयोजित किया है। व्यापारी संगठन जीएसटी के प्रावधानों की समीक्षा और ई-वे बिल कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं। CAIT के मुताबिक, 8 करोड़ व्यापारी, 1 करोड़ ट्रांसपोर्टर और लाखों टैक्स प्रोफेशनल इस बंद का हिस्सा होंगे। लेकिन इस बंद से पहले ही कारोबारी संगठनों में फूट पड़ गई है। कुछ अन्य व्यापारी संगठनों ने कहा कि वे बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं।
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CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया है कि इसमें महिला उद्यमी, छोटे उद्योग, फेरीवाले, अन्य लोग बंद में शामिल होंगे। हालांकि इस बंद से आवश्यक सेवाएं जैसे मेडिकल दुकानें, दूध, सब्जी की दुकानें प्रभावित नहीं होंगी। कैट ने कहा कि एक करोड़ ट्रांसपोर्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने बंद का समर्थन किया है। हॉकरों के राष्ट्रीय संगठन हॉकर्स संयुक्त कार्रवाई समिति ने भी बंद का समर्थन किया है।
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बंद से बाहर हुए ये संगठन
व्यापारी संगठनों मसलन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल और भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने कहा कि वे बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं। वहीं फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वी के बंसल ने कहा कि कुछ मांगों के समर्थन में हम दुकानें बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, हमारा मानना है कि पिछले 43 माह के दौरान जीएसटी अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि हम बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने सरकार को जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर ज्ञापन दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने भी किया बंद का समर्थन
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसानों से शुक्रवार के ‘भारत बंद’ में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेने की अपील की है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ट्विटर पर लिखा है कि इस ‘भारत बंद’ में देश भर के 8 करोड़ व्यापारी हिस्सा लेंगे। GST को सरल बनाने की मांग।