नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि खाद्यान्न और उर्वरक की Subsidy को सीधे लक्ष्य तक पहुंचाने के शुरुआती प्रयोग के बाद सरकार का इरादा अब केरोसिन का दुरुपयोग और इसकी कालाबाजारी रोकने का है। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में केरोसिन का उपयोग ईंधन के रूप में होता है, जबकि कई हिस्सों में इसका दुरुपयोग होता है। भारी मात्रा में केरोसिन को इधर से उधर किया जाता है। इसलिए, राज्य इसे नियंत्रण मुक्त करना चाहते हैं। उन्होंने इस संबंध में चंढीगड़ और हरियाणा का भी जिक्र किया जो केरोसिन को नियंत्रण मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा :
- जहां तक वस्तुओं की आपूर्ति को तर्कसंगत बनाने की बात है, हमारे एजेंडा में केरोसिन अगली वस्तु है। केरोसिन के मामले में समस्या से निपटने के लिये एक प्रणाली ढूंढनी होगी।
- राशन की दुकानों से बिकने वाले सब्सिडी प्राप्त केरोसिन को उसके वाजिब लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिये वर्ष 2016-17 के दौरान देश के 39 जिलों में केरोसिन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना शुरू की जाए।
- ये जिले देशभर के नौ राज्यों में होंगे। इनका चयन राज्यों की सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद किया गया है। ये राज्य हैं पंजाब, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़।
- सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के तहत ला रही है और इसके अनुभव को देख रही है।
जेटली ने कहा, कहीं उर्वरक के मामले में सब्सिडी को सीधे लाभार्थी के हाथ में पहुंचाया जा रहा है तो कहीं खाद्यान्न में यह प्रयोग हो रहा है। इसका सबसे बड़ा लाभ इसके दुरुपयोग को रोकना है। भ्रष्टाचार दूर होगा और दोहराव रुकेगा तथा सब्सिडी सही हाथों में पहुंचेगी। डीबीटी योजना को अमल में लाने से सरकार को सब्सिडी को प्रभावी तरीके से सही लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। साथ ही इस प्रक्रिया में धन की भी बचत होगी। बचे धन का सामाजिक विकास के दूसरे कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा।