नई दिल्ली। देश के विभिन्न हिस्सों में पिछले दस साल से लोगों को डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध करा रही पे-वर्ल्ड का मानना है कि इसके लिए बेहतर ढांचागत सुविधाएं और जनता को जागरुक बनाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा डिजिटल माध्यमों से भुगतान में आने वाली लागत का बोझ कौन उठाएगा, इसके भी नियम स्पष्ट होने चाहिए।
पे-वर्ल्ड के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) प्रवीण धबाई ने बताया कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए जागरुकता बहुत जरूरी है। इस मामले में आबादी के एक बड़े तबके को प्रशिक्षण देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, आबादी का एक बड़ा तबका ऐसा है, जो कम्प्यूटर अथवा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए डिजिटल माध्यमों से भुगतान करना चाहता है लेकिन उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। ऐसे लोगों को प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है।
सुगल एंड दमाणी ग्रुप ऑफ कंपनीज की पहल पर वर्ष 2008 में शुरू की गई पे-वर्ल्ड पिछले नौ-दस साल से देश के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में यही सुविधा लोगों को उपलब्ध करा रही है। देशभर में 23 राज्यों के 630 शहरों में उसके 62,000 से अधिक खुदरा केंद्र बिंदु हैं, जहां से पैसा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने, मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज, रेल, हवाई यात्रा अथवा बस टिकट की बुकिंग, बिजली पानी के बिलों का भुगतान आदि किया जाता है। इसमें हर साल 30 से 40 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है।
आने वाले दो-तीन साल में उसके खुदरा केंद्रों की संख्या बढ़कर दो लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है। नोटबंदी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में धबाई ने कहा कि नोटबंदी के दो माह के दौरान डिजिटल लेनदेन में काफी वृद्धि हुई थी लेकिन नकदी की स्थिति सामान्य होने के साथ इसमें उतनी तेजी नहीं रह गई है।