नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि नयी नीति के तहत नया वाहन खरीदते समय अपने पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को ‘कबाड़’ (स्क्रैप) करने का विकल्प चुनने वाले खरीदारों को कई लाभ दिए जाएंगे। इस नीति को काफी प्रोत्साहन देने वाला करार देते हुए गडकरी ने कहा कि इससे आने वाले वर्षों में भारतीय वाहन उद्योग का कारोबार 30 प्रतिशत बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा। बजट 2021-22 में स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति की घोषणा की गई है। माना जा रहा है कि इससे वाहन उद्योग को कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से उबरने में मदद मिलेगी।
स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति के तहत व्यक्तिगत या निजी वाहनों का 20 साल में और वाणिज्यिक वाहनों का 15 साल में ‘फिटनेस टेस्ट’ होगा। गडकरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अपने वाहनों को कबाड़ करने का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों को विनिर्माताओं से कुछ लाभ दिया जाएगा। वास्तव में कबाड़ नीति फायदेमंद साबित होगी। इससे न केवल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि वाहन उद्योग को भी फायदा होगा और साथ ही वाहनों का प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।’’ उन्होंने कहा कि वह जल्द इस नीति के ब्योरे को जारी करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में वाहन उद्योग सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में शामिल होगा। यह पूछे जाने पर कि यह नीति स्वैच्छिक है ऐसे में यदि कुछ लोग इसके विकल्प को नहीं चुनते हैं, तो उनको हतोत्साहित करने के क्या उपाय किए गए हैं, गडकरी ने कहा कि इसमे हरित कर और अन्य शुल्कों का प्रावधान है। ऐसे वाहनों को कड़े ऑटोमेटेड फिटनेस परीक्षण से भी गुजरना होगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि अंशधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद इस नीति के तहत प्रोत्साहन पर काम किया जा रहा है। अरमाने ने कहा कि वाहन कबाड़ नीति के बड़े लाभ हैं। उन्होंने कहा कि शोध से पता चलता है कि एक पुराने चार सीटों के सेडान वाहन पर पांच साल में 1.8 लाख रुपये का नुकसान होता है। वहीं भारी वाहनों पर इससे तीन साल में आठ लाख रुपये का नुकसान होता है। अरमाने ने कहा, ‘‘हम कुछ प्रोत्साहन देना चाहते हैं। यह नीति अनिवार्य है। सभी वाहनों को ऑटोमेटेड फिटनेस परीक्षण से गुजरना होगा। इसमें मानव हस्तक्षेप नहीं होगा। इससे कोई भ्रष्टाचार या आंकड़ों की गड़बड़ी नहीं की जा सकेगी।’’