नई दिल्ली। किसान कानून पर जारी आंदोलन के बीच नए कानून के लाभ भी सामने आने लगे हैं। अपनी फसल को कहीं भी बेचने की आजादी से महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित एक कृषक उत्पादक संगठन ने कोरोना काल में 6.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया है। खास बात ये है कि बिचौलिए न होने की वजह से किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम भी मिले हैं।
क्या है ये खास आइडिया
किसान कनेक्ट नामक इस एफपीओ के संस्थापक अहमदनगर जिले के सारंग निर्मल ने बताया कि कोरोना काल में जब किसान अपने फल व सब्जियां नहीं बेच पा रहे थे तभी उनके मन में एक आइडिया आया कि क्यों न मुंबई और पुणे में रहने वाले लोगों से सीधे संपर्क कर उनको ताजे फल व सब्जियां भेजा जाए। आईएएनएस को उन्होने बताया कि व्हाट्सऐप के जरिए मुंबई और पुणे के निवासियों से फलों और सब्जियों का ऑर्डर लेना शुरू किया और उनके ऑर्डर के मुताबिक ताजे फल व सब्जियों का पैकेट बनाकर उन्हें डिलीवर करने लगे।
कितना फैला कारोबार
निर्मल ने बताया कि मार्च में उन्होंने व्हाट्सऐप के जरिए यह काम शुरू किया और अब तक किसान कनेक्ट ने 6.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया है और इसे लगातार बढ़ाने की योजना पर वह काम कर रहे हैं। इस कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के साथ करीब 600 किसान जुड़े हुए हैं। साथ ही, ऐप के माध्यम से इसने 22,000 से अधिक ग्राहकों को भी जोड़ रखा है। एफपीओ के ये सभी ग्राहक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और पुणे में हैं। किसानों से फल और सब्जी लेकर सीधे ग्राहकों को बेचने से किसानों को मंडियों से ज्यादा दाम मिलता है क्योंकि इस प्रकार के ट्रेड में कहीं बिचैलिया नहीं है। किसान कनेक्ट किसानों का संगठन है और इसके जरिए होने वाले व्यापार का फायदा भी एफपीओ से जुड़े किसानों को मिलता है।
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नए कानून का कैसे मिला फायदा
निर्मल ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नये कृषि कानून से उनका काम और आसान हो गया है क्योंकि नये कानून में कृषि उपज का कारोबार पूरे देश में कहीं भी बेरोकटोक किया जा सकता है जबकि पहले व्यापार के मकसद से किसान भी जब एक शहर से दूसरे शहर अपनी उपज ले जाते थे तो वहां की एपीएमसी वाले उनके पीछे लगे रहते थे।
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