नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पॉलिसी रेट कट का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचने में अब ज्यादा देर नहीं होगी। बैंकों के लिए बेस रेट तय करने के लिए आरबीआई जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी करने वाला है। बैंक अपने फंड की मार्जिनल कॉस्ट के आधार पर बेस रेट तय करेंगे और इसे तय करने के लिए आरबीआई जल्द ही नई प्रणाली घोषित करेगा। आरबीआई इस नई प्रणाली के जरिये यह सुनिश्चित करना चाहता है कि नीतिगत दरों में होने वाली कटौती का फायदा बैंक ग्राहकों तक पहुंचाएं। नई प्रणाली से बेस रेट कम होने से बैंक अपने बेस रेट में और कटौती करेंगे, जिससे आम उपभोक्ताओं को सस्ता कर्ज उपलब्ध होगा।
आरबीआई ने अपनी पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में कहा है कि इस साल जनवरी से अब तक आरबीआई ने रेपो रेट में 1.25 फीसदी कटौती की है, जबकि बैंकों ने ग्राहकों तक इसका केवल 50 फीसदी फायदा ही पहुंचाया है। बैंकों ने बेस रेट में केवल 0.60 फसीदी की ही कमी की है। अभी ब्याज दरों में और कटौती की संभावना है। बेस रेट वह न्यूनतम बेंचमार्क रेट है, जिससे कम रेट पर बैंक लोन नहीं दे सकते।
आरबीआई ने अपने बयान में कहा है कि जल्द ही फंड की मार्जिनल कॉस्ट के आधार पर बैंकों के लिए बेस रेट तय करने के लिए जल्द ही नई प्रणाली घोषित की जाएगी और सभी बैंकों को इसी नई प्रणाली के तहत अपने बेस रेट की गणना करनी होगी। इससे ग्राहकों को आरबीआई द्वारा की जाने वाली नीतिगत दरों में कटौती का पूरा फायदा मिलेगा। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप बैंकों को संपत्ति देयत्ता प्रबंधन पर कड़ी नजर रखनी होगी, बाजार बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि बैंकों के पास क्षमता है कि वह फंड की मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित बेस रेट पर स्थानांतरित हो सकें। इसके लिए नई प्रणाली इस हफ्ते के अंत तक जारी की जाएगी। इसके अलावा लघु बचत जैसे पीपीएफ और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दर को भी कम किया जाएगा, जिससे बैंकों की फंड लागत और कम होगी।